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Ulhasnagar Municipal Corporation | उल्हासनगर महानगरपालिका में फाइलें उठाने से कतरा रहे हैं बांध पीड़ित, जानें क्या है पूरा मसला

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Ulhasnagar Municipal Corporation

उल्हासनगर : अंबरनाथ (Ambernath) और मुरबाड़ तहसील (Murbad Tehsil) की सीमा पर बने एमआईडीसी (MIDC) के स्वामित्व वाले बारवी बांध की ऊंचाई बढ़ाने से प्रभावित हुए किसानों को सरकारी नोकरी देना तय हुआ था और बांध निर्माण पीड़ितों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार विभिन्न विभागों में पदों पर नियुक्त किया गया है और उसी आधार पर तकरीबन 24 लोगों को उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) में शामिल किया गया है। लेकिन इनमें से कई कर्मचारी अपने अधिकारियों का आदेश नहीं मान रहे है, उन्हें फाइल उठाने शर्म महसूस हो रही है। 

इनमें से कई कर्मचारी मंहगी कारों से काम पर आते है और अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं करते है और फाइल उठाना अथवा दूसरा कोई भी काम करने में यह पीछे हट जाते है। नए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का ठाट बाट पिछले कुछ दिनों से महानगरपालिका मुख्यालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। बारवी बांध से जिस शहर को जितनी जलापूर्ति होती है उसके मुताबिक जिले के ठाणे, नवी मुंबई, मीरा भायंदर, कल्याण-डोंबिवली, उल्हासनगर और अंबरनाथ नगरपालिकाओं में परियोजना प्रभावित परिवारों के सदस्यों को लॉटरी प्रणाली के माध्यम से नौकरियां दी गई है. हाल ही में अंबरनाथ नगर पालिका में 16 परियोजना प्रभावित लोगों को नियुक्ति पत्र देकर महानगरपालिका की सेवा में समाहित किया गया है। उल्हासनगर महानगरपालिका में चार महीने पूर्व करीब 24 परियोजना प्रभावित लोगों को नोकरी दी गई है। एक अधिकारी ने बताया कि लेकिन पहले कुछ महीनों तक इन कर्मचारियों को बैठाए रखा गया बाद में विभाग में नियुक्ति की गई। अंत में उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार उन पीड़ितों को क्लर्क के साथ-साथ सिपाही पदों पर नियुक्त किया गया है। 

कर्मचारियों के खिलाफ तहसीलदारों ने नोटिस दिया था

इनमें से प्रभावित लोगों द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति काफी उदासीनता दिखाई जा रही है। साथ ही अगर अधिकारी किसी काम की जिम्मेदारी देता है तो वह उनकी सुनते ही नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादा कुछ कहने पर वह कर्मचारी कहते है कि हम अपने परिवार के कहने पर ही यह काम कर रहे हैं और कुछ कर्मचारी अधिकारियों को कह रहे हैं कि हमें फाइल उठाने और सिपाही चौकी को पानी देने का काम नहीं करने दिया जा रहा है। जंहा यह भी कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ कर्मचारियों को जब बीएलओ के काम की जिम्मेदारी दी गई तो मना करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ तहसीलदारों ने नोटिस दी थी। कुछ अधिकारी दबी जुबान से कह रहे है कि परियोजना प्रभावित कर्मचारियों से वह कम समय में हताश हो गए हैं। इसलिए कुछ अधिकारी ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए सीधे कमिश्नर के पास जाएंगे। 

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नियम का पालन करना हर एक कर्मचारी का कर्तव्य है, यह नियम परियोजना प्रभावित कर्मचारियों पर भी लागू है, अभी तक कोई पुख्ता शिकायत उन तक नहीं आयी है। वरिष्ठों का आदेश न मानने की शिकायत मिलने पर संबंधित कर्मचारियों को नोटिस भी जारी की जाएगी। हालांकि उसके बाद भी अगर उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आता है तो उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई  तक की जा सकती है। – अशोक नाइकवाडे, उपायुक्त, उल्हासनगर महानगरपालिका।



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