बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। विगत कुछ वर्षों में प्याज, लहसुन, सोयाबीन और गेहूं के बीजों की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई है। फसल कटाई के बाद इन बीजों की कीमत तीन से चार गुना तक बढ़ जाती है, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को बोवनी के समय भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है। इस समस्या का समाधान निकालते हुए क्षेत्र के कई किसानों ने अपना स्वयं का बीज बैंक तैयार करना शुरू कर दिया है, जिससे वे न केवल अपनी लागत कम कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी उचित मूल्य पर बीज उपलब्ध करवा रहे हैं।
बेहरी, लखवाड़ा, गुराडिया और चैनपुरा क्षेत्र के दर्जनभर किसान प्याज के बीज का उत्पादन कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों से ये किसान अपना बीज बैंक बनाकर रखते हैं और फसल की बुआई के समय अन्य किसानों को कम कीमत पर यह बीज उपलब्ध कराते हैं।
इसके अलावा 20 से अधिक किसान हर साल सोयाबीन का उन्नत बीज ग्रेडिंग कर घर पर ही तैयार कर रहे हैं। बोवनी के समय इसे बेचकर वे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसी तरह, कुछ किसान लहसुन का बीज भी संग्रहित कर समय पर ऊंचे दामों पर बेचकर लाभ अर्जित कर रहे हैं।
हालांकि, बीज उत्पादन में सही तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी के कारण कुछ मामलों में किसानों का बीज खराब भी हो रहा है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सामूहिक बीज बैंक से किसानों को होगा बड़ा लाभ-
आगर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अशोक कुमार दीक्षित का कहना है, कि यदि किसान संगठित होकर सामूहिक बीज बैंक बनाएं, तो इससे उन्हें अधिक फायदा मिलेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि
– किसान समूह बनाकर बीज का संग्रहण करें और उसे सुरक्षित स्थान पर संरक्षित करें।
– सोयाबीन, प्याज, लहसुन और गेहूं के बीज को सही तकनीक से तैयार कर उचित मात्रा में स्टॉक किया जाए।
– सरकार भी सामूहिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देती है, जिसका लाभ किसान ले सकते हैं।
– कृषि अनुसंधान केंद्र, देवास से संपर्क कर बीज उत्पादन की उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण लें, ताकि बीज खराब होने की समस्या को रोका जा सके।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम-
वरिष्ठ किसानों का कहना है, कि स्वयं का बीज तैयार करना आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल किसानों को महंगे बीज खरीदने से बचाएगा, बल्कि सामूहिक बीज बैंक बनाकर वे अपने अन्य साथी किसानों को भी सस्ते बीज उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही। अगर किसान संगठित होकर आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें, तो बीज बैंक न केवल खेती की लागत को कम करेगा बल्कि एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी बनेगा।