- ज्ञान, भक्ति और संस्कृति का दिव्य संगम है बसंत पंचमी
इंदौर। बसंत पंचमी विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित यह पर्व भारतीय संस्कृति में बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह दिवस केवल ऋतु परिवर्तन का संकेत नहीं, बल्कि ज्ञान, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला एक आध्यात्मिक उत्सव भी है। इसी पावन अवसर पर श्री श्री रविशंकर विद्या मंदिर इंदौर में मां सरस्वती की आराधना और ‘अक्षरारंभ’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह शुभ आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग के ओंकारेश्वर आश्रम से पधारे स्वामी गुरु कृपानंद जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को आशीर्वाद प्रदान किया।
विद्या और भक्ति का संगम-
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और मां सरस्वती की वंदना से हुई। विद्यालय के नन्हे विद्यार्थियों ने संस्कृत श्लोकों का मधुर वाचन कर मां सरस्वती से विद्या, बुद्धि और प्रकाश की याचना की। स्वामीजी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में बसंत पंचमी के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, कि यह दिवस केवल ऋतुओं के परिवर्तन का उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन में ज्ञान और प्रकाश के आगमन का शुभ संकेत भी है।
मजबूत नींव से बनता है उज्ज्वल भविष्य-
विद्यालय की प्राचार्य कंचन तारे जी ने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व के बारे में कहा कि यदि नींव मजबूत हो, तो इमारत स्वयं ही सुदृढ़ बन जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया, कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित न रहकर जीवन के हर क्षेत्र में प्रकाश फैलाने वाली होनी चाहिए।
भजनों से भक्तिमय हुआ वातावरण-
कार्यक्रम में मधुर भजनों की संगीतमयी प्रस्तुति ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया। संपूर्ण विद्यालय परिसर भक्ति, श्रद्धा और उल्लास की सुरम्य धारा में प्रवाहित होता दिखा। बसंत पंचमी पर ज्ञान, भक्ति और उत्साह के इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को संस्कारों, शिक्षा और संस्कृति की अनुपम धरोहर से परिचित कराया गया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य, शिक्षकगण और विद्यार्थियों के अभिभावक भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
विद्यालय में होता है बच्चों का सर्वांगीण विकास-
उल्लेखनीय है, कि श्री श्री रविशंकर विद्या मंदिर केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि यह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का मंच भी है। यहां वर्षभर अनेक धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का विकास हो सके। यहां शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न होकर व्यक्तित्व निर्माण और संस्कारों के संवर्धन का सशक्त माध्यम बन चुकी है।