देवास। मध्यप्रदेश के देवास जिले के छोटे से गांव जामगोद की बेटी दीपिका पाटीदार ने मप्र राज्य सेवा परीक्षा 2022 में शीर्ष स्थान प्राप्त कर पूरे प्रदेश में नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। दीपिका की इस असाधारण सफलता ने न केवल उनके परिवार और समाज, बल्कि पूरे जिले को गौरवान्वित किया है।
दीपिका पाटीदार को 1575 में से 902.75 अंक प्राप्त हुए हैं। उन्हें मुख्य परीक्षा में 1400 में से 756.75 अंक और इंटरव्यू में 175 में से 146 अंक मिले हैं।
दीपिका का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है, जो उनके अथक परिश्रम और अटूट दृढ़संकल्प का प्रमाण है। उनकी इस यात्रा ने साबित किया, कि ग्रामीण परिवेश से आने के बावजूद अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से हो, तो किसी भी ऊंचाई को छूना असंभव नहीं है।
परिवार का गौरव बनीं दीपिका-
दीपिका के पिता गोपाल पाटीदार ग्राम पंचायत गढ़खजूरिया में सचिव हैं। दीपिका परिवार की बड़ी बेटी हैं और उनके छोटे भाई खेती का काम संभालते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, दीपिका ने अपने सपनों को आकार दिया और अपनी मेहनत से हर बाधा को पार किया है।
शिक्षा और तैयारी की प्रेरणादायक कहानी-
दीपिका ने अपनी 10वीं तक की शिक्षा तालौद के सरकारी स्कूल से पूरी की। इसके बाद उमियाधाम विद्यालय, राऊ से 11वीं और 12वीं में प्रथम स्थान हासिल किया। यहां भी उन्हें पुरस्कृत किया गया। इंदौर के होल्कर कॉलेज से बीएससी (कंप्यूटर साइंस) से की। ग्रेजुएशन के दौरान दीपिका का सिविल सेवा की ओर रुझान हुआ। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने दिल्ली जाकर कोचिंग ली और इतिहास विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया।
18-18 घंटे तक पढ़ाई-
2019 में इंदौर लौटने के बाद, दीपिका ने महात्मा गांधी संस्थान में मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की गहन तैयारी की। टेस्ट सीरीज और मॉक इंटरव्यू से उन्होंने अपनी तैयारी को निखारा। परीक्षा से पहले दीपिका ने दिन-रात मेहनत करते हुए 18-18 घंटे तक पढ़ाई की। उनका अनुशासन और समर्पण इस सफलता के मूल मंत्र बने।
सकारात्मकता और धैर्य की मिसाल-
दीपिका की सफलता का आधार उनकी सकारात्मक सोच, धैर्य और आत्म-अनुशासन है। पढ़ाई के अलावा, दीपिका को मटकी नृत्य और प्रकृति के बीच समय बिताना बेहद पसंद है। उनके अनुसार, सिविल सेवा की तैयारी के दौरान मनोबल को बनाए रखना और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना सबसे महत्वपूर्ण है।
गांव से दिल्ली और फिर प्रदेश में शीर्ष पर-
एक साधारण ग्रामीण परिवेश से आने वाली दीपिका ने यह साबित किया कि अगर मेहनत और लगन सच्ची हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में नहीं आ सकती। आज, दीपिका न केवल अपने गांव जामगोद, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
सफलता का उत्साह-
दीपिका की सफलता पर उनके परिवार, समाज और जिले में उत्साह का माहौल है। उनके परिजन जल्द ही इंदौर जाकर इस उपलब्धि को उनके साथ साझा करेंगे। दीपिका पाटीदार ने यह सफलता एक संदेश के साथ हासिल की है, कि सपने देखने की हिम्मत करें और उन्हें पूरा करने के लिए खुद पर भरोसा रखें। उनकी कहानी लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है।
जुनून देखकर लगता था नाम रोशन करेंगी-
दीपिका के पिता गोपाल पाटीदार अपनी बेटी की सफलता से बहुत खुश है। उनका कहना है कि मुझे दीपिका की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। मैं उसे बेटा ही कहता हूं। उसके जुनून को देखकर मुझे लगता था कि यह नाम रोशन करेंगी। वह रात-रातभर पढ़ती थी। जब भी हम फोन लगाते थे, वह उस वक्त पढ़ाई ही करती रहती थी। आज तो वह इंदौर में हैं, हम कल सुबह इंदौर जाएंगे और शाम तक दीपिका के साथ जामगोद आने का प्रयास करेंगे।