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देवारण्य योजना: परंपरागत खेती से हटकर किसान कर रहे हैं औषधीय खेती

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– अश्वगंधा की खेती के लिए मिले निशुल्क बीज
देवास। सरकार की अभिनव पहल ’’देवारण्य योजना’’ से अब किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। जिले में किसानों ने परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय पौधों की फसल लेना प्रारंभ किया है। औषधीय खेती से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी। जिले में टोंकखुर्द ब्लॉक के किसानों ने अपने खेतों में अश्वगंधा की फसल लगाई है। अश्वगंधा की जड़, बीज और भूसा सभी मंडी में अच्छे भावों पर बिकता है। देवारण्य योजना में सोलिडारिडाड संस्था ने इन्हें प्रति किसान पांच किलो बीज निःशुल्क उपलब्ध करवाया है। साथ ही बोवनी से लेकर मंडी पंहुचाने तक के काम में वे लगातार परामर्श दे रहे हैं।
जिला आयुष अधिकारी डॉ. गिर्राज बाथम ने बताया कि जिले में 11 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स में हर्बल गार्डन के जरिए औषधीय पौधे लगाए हैं। देवारण्य योजना से ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा लागों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा। आयुष विभाग द्वारा जिले में इनकी उपयोगिता और महत्व की जानकारी देने के साथ इनकी उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। देवारण्य योजना में तैयार फसल को स्थानीय स्तर पर ही उसी दाम पर खरीदा जाएगा। इससे किसान को मंडी तक लाने-ले जाने के खर्च से राहत मिल सकेगी। प्रदेश सरकार के नवाचारी प्रयास से किसानों के लिए खेती को लाभ का धंधा बनेगी, साथ ही हमारे देश की प्राचीनतम आयुष विधा का महत्व भी बढ़ेगा।

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