जैविक पद्धति से किया फसल उपचार, मधुमक्खी करती है परागण
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। प्याज की तुलना में प्याज के कण की खेती किसानों को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचा रही है। कई किसान उच्च तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं, जिनसे उन्हें अच्छा लाभ हो रहा है। जिनके पास भूमि कम है, उन्हें भी उच्च तकनीक की खेती से फायदा हो रहा है। ऐसे किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुटे हैं।
बेहरी के किसान गब्बूलाल पाटीदार प्याज की खेती करते आए हैं, लेकिन पिछले दो साल सेे वे प्याज के बीज का उत्पादन कर रहे हैं। रोप के लिए महाराष्ट्र के लासर गांव से 1200 रुपए प्रति क्विंटल में कांदी लेकर आए थे। वे विगत तीन वर्षों से प्याज बीज का उत्पादन कर रहे हैं। उनके द्वारा प्याज की उन्नत किस्म में शामिल छोटे प्याज लगाया गया है। इन्हें किसानी भाषा में कांदी रोप कहा जाता है। नवंबर माह में खेत को तैयार करके इसे लगाया गया। इस बार श्री पाटीदार ने दो बीघा खेत में इस फसल को लगाया है। करीब 34 क्विंटल छोटा प्याज लगाकर आरंभ के दिनों में खरपतवार नाशक और अन्य खाद्य दवाई उपयोग कर इस फसल को तैयार किया। दो माह बीत जाने के बाद जैविक पद्धति से फसल उपचार किया। फसल उपचार के लिए गुड़, लहसुन और अन्य जैविक उत्पाद का उपयोग किया। गुड़ का उपयोग होने से इस फसल में लगने वाले फूल में मधुमक्खी परागण प्रक्रिया तेज हो गई। इसके चलते प्याज में लगने वाला फूल बड़ी ग्रोथ के साथ दिखाई देने लगा है। जब मधुमक्खी परागण करती है तो यह प्याज फूलसुंघी बन जाता है। इसकी क्वालिटी उच्च होती है। इन दिनों पूरे 2 बीघा खेत में यह प्याज फूल लहलहा रहा है। आने वाले माह में यह फूल प्याज बीज में परिवर्तित हो जाएगा। किसान पाटीदार के अनुसार सूखने के बाद फूलों को ट्रैक्टर के पहियों से कुचल दिया जाएगा, ताकि बीज और अतिरिक्त कचरा अलग-अलग हो सके। फिर बीज को झटककर सफाई कर आधा-आधा किलो के पैकेट में रख लिया जाएगा। गत वर्ष 900 किलो प्याज बीज को बेचा था। इस बार यही बीज एक लाख रुपए क्विंटल तक मतलब है 1 हजार किलो तक बिकने की संभावना है। दो बीघा खेत में उत्पादन 5 से 6 क्विंटल होने की संभावना है। लागत काटकर चार लाख रुपए से अधिक की कमाई दो बीघा खेत में होगी।
इस संबंध में देवास कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अशोककुमार दीक्षित ने बताया कि यदि किसान बीज उत्पादन करते हैं तो बहुत अच्छी बात है। इसके लिए कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त कर लें और बीज बैंक नियमावली के तहत बीज को खुदरा मूल्य पर बेच सकते हैं। ऐसा करने से किसान को फायदा होगा।
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