Bribery Case | महावितरण के दो घूसखोर अधिकारी इतने लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार

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नासिक : कामकाज के बील में खामिया न निकालते हुए प्रलंबित बील मंजूर करने के लिए दो लाख रुपए की रिश्वत देते हुए महावितरण (Mahavitaran) कंपनी के दो अधिकारियों (Two Officers) का रिश्वत प्रतिबंधक विभाग (Anti-Bribery Department) के पथक ने रंगे हाथ गिरफ्तार (Arrested) किया। घूसखोर अधिकारियों में अमर अशोक खोंडे (व्यवस्थापक वित्त और लेखा विभाग, धुलिया) और मनोज अरुण पगार (उप व्यवस्थापक) शामिल है।

शिकायतकर्ता सरकारी पंजीकृत ठेकेदार है। उन्होंने महावितरण कंपनी का कामकाज पूरा किया। इस कार्य के बिल में कमियां न निकालने और प्रलंबित बिल मंजूर करने के लिए दोनों अधिकारियों ने 5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। चर्चा के बाद 2 लाख 50 हजार रुपए रकम तय हुई। पहली किश्त के रूप में 2 लाख देने की बात भी निश्चित हुई। दरमियान शिकायतकर्ता ने इस बारे में रिश्वस्त प्रतिबंधक विभाग को अवगत कराया। इसके बाद एसीबी के पथक ने जाल बिछाते हुए दो घूसखोर अधिकारियों को शिकायतकर्ता से रिश्वत के रूप में 2 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। 

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यह कार्रवाई एसीबी की अधीक्षक शर्मिष्ठा वालावलकर-घारगे, अपर अधीक्षक नारायण न्याहालदे, उपाधीक्षक नरेंद्र पवार, अनिल बडगुजर के मार्गदर्शन में पुलिस निरीक्षक प्रकाश झोडगे, शरद काटके, संतोष पावरा, भूषण खलाणेकर, भूषण शेटे, गायत्री पाटिल, सुधीर मोरे, रामदार बारेला, मकरंद पाटिल, प्रशांत बागुल, रोहिणी पवार, वनश्री बोरसे आदि के पथक ने की।



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