सुरगुरु राम के उपासक को अग्नि भी नहीं जला सकती
देवास। सुरगुरु राम के उपासक को अग्नि भी नहीं जला सकती। उसके नाम की महिमा से अग्नि भी शीतल हो जाती है। राम जो चारों युगों से सबके रोम-रोम में रम रहा है। जो सबकी श्वासों में रम रहा है, वह विदेही पुरुष है। उसको बचपन, बुढ़ापा, जवानी और जन्म-मृत्यु का असर नहीं होता। वह तो हमेशा प्रकट रूप में है। राम उसको कहते हैं, जो सब में रम रहा है।
यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थली मंगल मार्ग टेकरी पर आयोजित भजन सत्संग चौका आरती के समापन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारे घर कोई लड़का-लड़की का जन्म हुआ तो हमने उसका नाम राम रख लिया जो काल्पनिक है। अखंड श्वास जो राम है, उसे अखंड राम कहा गया है। उन्होंने कहा कि होली एक ऐतिहासिक कथा है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का ऐसा मानना था कि मेरे अलावा कोई परमात्मा नहीं है। मैं जो करता हूं वही ठीक है। प्रह्लाद को कहा कि तुम भी हमारा अनुसरण करो। प्रह्लाद ने कहा कि अगर ऐसा सत्य है तो वह कुम्हार के आवे के पास आएं, जहां कच्चे हंडों को पकाया जाता है। देखता है कि बिल्ली के बच्चे कुम्हार के आवे में रखे गए थे। उसने कुम्हार से कहा कि भाई तू भी मेरे बाप हिरण्यकश्यप का नाम जपा कर, तो उसने कहा कि तेरे बाप से भी बड़ा राज्य है राम का जो सबके रोम-रोम में बैठा हुआ है, सब की सुरक्षा देने वाला है तो परीक्षा के लिए मटके पकाने वाले आवे में बिल्ली के बच्चे एक कच्चे मटके के अंदर रखकर पहरेदार बैठा दिया। कहा कि कल सुबह आकर देख लूंगा। जब दूसरे दिन जाकर देखा तो मटका कच्चा था और बच्चे सुरक्षित खेल रहे थे। तब प्रह्लाद का विश्वास दृढ़ हो गया कि परमात्मा जो है प्रकट रूप में है। राम नाम ही सत्य है, बाकी सब मिथ्या है। परम पिता परमात्मा सब में मौजूद हैं। फिर खम्भे को फाड़कर तत्काल परमात्मा का दर्शन कराकर व हिरण्यकश्यप को नाभि से फाड़कर उसका अंत कर दिया और प्रह्लाद को बचा लिया गया। जो राम का उपासक था, वह बच गया और यही राम नाम की महिमा है। उसके नाम की महिमा से अग्नि भी शीतल हो जाती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधक उपस्थित थे। समापन अवसर पर महाप्रसाद का वितरण किया गया।
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