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हिंदू धर्म में कई तरह की विशेष पूजा की जाती हैं। विशेष पूजा में विशेष मंत्र आहूत किए जाते हैं। इसके लिए कई तरह की विधी बताई गई हैं। जिसके माध्यम से आप जान सकते हैं कि विधि-विधान से कैसे अपने इष्ट देव की पूजा कर आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
हिंदू धर्म में पूजन की कई विधियां हमारे यहां प्रचलित हैं। पूजा-पाठ करना हमारे जीवन का अभिन्न अंग होता है। पूजा-अर्चना के जरिए से हम ईश्वर के प्रति कृतज्ञता, श्रद्धा और धन्यवाद करते हैं। वहीं घर के अलावा मंदिर में भी नियमित पूजा-पाठ किया जाता है। घर, मंदिर और अनुष्ठान सभी में कई बार पूजा की विधियां बदल जाती हैं। घर में मंदिर में हम नियमित तौर पर की जाने वाली पूजा को छोटी पूजा भी कह सकते हैं। वहीं विस्तृत पूजा में पंचोपचार, दशोपचार और षोडषोपचार पूजा विधि का पालन करते हैं। आपको बता दें कि पंचोपचार में पांच चरण, दशोपचार में दस और षोडषोपचार में 16 चरण होते हैं। आज हम आपको पंचोपचार और षोडषोपचार पूजन की विधि बता रहे हैं।
पंचोपचार पूजन
पंचोपचार पूजन का अर्थ होता है कि इसमें भगवान का संक्षिप्त विधि से पूजन किया जाता है। इस विधि के जरिए पूजा के पांच कर्तव्य बताए गए हैं। जिसमें शुरूआत से लेकर आखिरी तक किस तरह से भगवान का पूजन अर्चन करना चाहिए।
पंचोपचार पूजन विधि
1- पंचोपचार पूजन विधि में सबसे पहले भगवान यानि की अपने इष्ट देव को चंदन, केसर, रोचन आदि (अष्ट गंध) अनामिका अंगुली से अर्पित करें। इसके बाद रोली अक्षत लगाएं।
2- पंचोपचार पूजन विधि के दूसरे चरण भगवान के चरणों में ताजे पुष्प अर्पित करना चाहिए। बता दें कि सभी देवों के लिए अलग-अलग विशेष पुष्प होते हैं। विशेष पुष्प में गणेशजी को दूर्वा, भोलेनाथ को बेलपत्र और सफेद पुष्प, विष्णु भगवान को कमल या पीले पुष्प, सूर्य देव को लाल कनेर चढ़ा सकते हैं।
3- इसके तीसरे चरण में सभी देवताओं को धूप-दीप दिखाया जाता है।
4- पंचोपचार पूजन विधि के चौथे चरण में शुद्ध घी से आरती करनी चाहिए। घी नहीं होने पर आप तेल या कपूर की आरती भी कर सकते हैं। आरती किए जाने के दौरान थाल को दाएं हाथ में लेकर देवों के दायीं ओर घुमाएं। साथ ही बाएं हाथ से घंटी बजाएं। फिर देवों की परिक्रमा करनी चाहिए।
5- इस चरण में देवी-देवताओं के आगे नैवेद्य यानि की भोग लगाएं। इसमें आपको शुद्ध घी से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। नैवेद्य में तुलसी दल जरूर डालना चाहिए।
षोडषोपचार पूजा की विधि
षोडषोपचार पूजा विधि विस्तृत होती है। बता दें कि इसमें पूजा के 16 चरण होते हैं। पूजा पाठ में इस विधि का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। षोडषोपचार पूजा के तहत ये 16 चरण फॉलो किए जाते हैं।
1. पहले चरण में सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। सभी देवताओं और शक्तियों का आह्वान किया जाता है। मूर्ति में प्रतिष्ठित प्राण की पूजा-अर्चना की जाती है। आह्वान मंत्रों के उच्चारण के दौरान जातक के दाहिने हाथ में चंदन, पान, सुपारी, अक्षत, फूल, मिष्ठान और जल लेकर आह्वानित देवी-देवताओं के चरणों में अर्पित किया जाता है।
2. इसके दूसरे चरण में देवी-देवता की मूर्तियों को आसन पर रखा जाता है। सुंदर भावना से आदर करते हुए उनको पुष्प अर्पित करते हैं।
3. तीसरे चरण में देवी देवता के चरणों को धोया जाता है। इसके लिए ताम्रपत्र में आचमनी से इष्ट देव के चरणों में जल अर्पित करें।
4. इस चरण में ताम्रपत्र में आचमनी से जल डालकर देवी-देवताओं को अर्घ्य दिया जाता है।
5. पांचवे चरण में देवों को मुंह धुलने, कुल्ला करने आदि के लिए आचमन दिया जाता है।
6. इस चरण में आह्वानित देवी-देवताओं को स्नान करने के लिए आचमन दिया जाता है। इसके बाद स्वच्छ कपड़े से पोंछा जाता है। इस दौरान पंचामृत से भी स्नान कराया जा सकता है।
7. इस चरण में देवी-देवताओं को सुंदर और साफ वस्त्र पहनाया जाता है।
8. आठवें चरण में मंत्र उच्चारण के बाद देवताओं को यज्ञोपवीत यानि की जनेऊ अर्पित किया जाता है। जनेऊ के स्थान पर मौली-कलावा भी अर्पित कर सकते हैं।
9. इस चरण में अनामिका अंगुली से आह्वानित देवी-देवताओं को रोली का टीका लगाया जाता है।
10. दसवें चरण में पूजन कर्म में अगर कमी रह गई हो तो उसे पूरा करने के लिए पीले अक्षत अर्पित किए जाते हैं।
11. ग्यारवें चरण में आह्वानित देवी-देवताओं को पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
12. इस चरण में भगवान की आवभगत के लिए धूप-दीप कराएं।
13. इस प्रक्रिया में शुद्ध घी से दीपक जलाकर आरती उतारें।
14. इस चरण में देवी-देवताओं को गाय के दूध या शुद्ध घी से बने नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।
15. इस चऱण में भगवान को पान-सुपारी चढ़ाई जाती है। इस दौरान डंठल वाला पान और छोटी गोल सुपारी चढ़ानी चाहिए।
16. सोलहवें चरण में अपने सामर्थ्य और श्रद्धा के अनुरूप दक्षिणा अर्पित कर पूजा में हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगनी चाहिए।
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