शरद पूर्णिमा: चंद्रमा की चंचल किरणें गिरने से 51 लीटर दूध बन गया अमृत

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बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। शरद पूर्णिमा पर्व कई मायनों में सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष रूप में इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त 16 भाव भंगिमाओं के साथ दिखाई देता है। माना जाता है कि इस रात में अमृत वर्षा चंद्रमा की किरणों से होती है। धार्मिक स्थानों सहित कई सार्वजनिक स्थानों पर रात्रि 12 बजे चंद्रमा की अमृत किरणों से परिपूर्ण गर्म दूध का उपयोग श्रद्धालुओं द्वारा किया गया। इस रात्रि में यह दूध पीने से शरीर हष्ट-पुष्ट होता है और कई रोगों से मुक्ति मिलती है। कात्यायनी देवी मंदिर बेहरी में चंद्रमा की किरणों के नीचे दूध उबालकर श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। पं. अंतिम उपाध्याय व संजय उपाध्याय ने बताया कि पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी ने 21 लीटर दूध का सहयोग दिया, शेष अन्य लोगों के सहयोग से यहां पर 51 लीटर दूध मेवा मिष्ठान के साथ उबालकर श्रद्धालुओं में बांटा गया।


चंद्र किरणों से घुल जाता है अमृत-
पंडित राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है और यदि खीर (दूध) को उस रोशनी के नीचे रखा जाए तो उसमें अमृ​त घुल जाता है। इस खीर या दूध का सेवन रात 12 बजे बाद सेवन किया जाता है। मान्यता है कि यह खीर या दूध चंद्रमा की रोशनी में रखने की वजह से अमृत समान हो जाता है और कई रोगों से मुक्ति दिलाता है।

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