रावण इतना संयमित था कि 6 करोड़ वर्ष तक जिया और तुम तो आज ही संयम खो बैठे हो

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  • अपनी करनी को सुधार लो तो समझो रावण मर गया- सद्गुरु मंगलनाम साहेब
  • अपने अवगुणों को मिटाते नहीं और दूसरों के अवगुणों को ढूंढ रहे हैं- सद्गुरु मंगलनाम साहेब

देवास। हम बार-बार रावण को जला रहे हैं। भरोसा ही नहीं हो रहा है हमें कि अपने अवगुण मिटे कि नहीं। अपने अवगुणों को मिटाते नहीं और दूसरे के अवगुणों को ढूंढ रहे हैं। अपने अवगुणों को ढूंढों और उन्हें मिटाओं। घर अपना जलाओंगे तभी ज्ञान होगा। दूसरों का घर जलाने पर हमें ज्ञान नहीं होगा। फिर भी घर कायम ही रहेगा। रावण हमारे अंदर ही बैठा हुआ है। उस अहंकार रूपी रावण को जलाते नहीं और बार-बार रावण को जलाने में लगे हैं।

यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने बालगढ़ स्थित सद्गुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय चूना खदान पर आयोजित चौका आरती, गुरुवाणी पाठ के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि अपनी ज्ञान और कर्म इंद्रियों को सुधारों और संयम रखों। रावण इतना संयमित था कि 6 करोड़ वर्ष तक जिया और तुम तो आज ही संयम खो बैठे हो। पहले अपनी करनी को सुधारों। अपनी करनी को सुधारते नहीं और दूसरे की करनी में कमी ढूंढने में लगे हुए हो। अपनी करनी सुधार लो तो समझो रावण मर गया। जब तक अपनी करनी नहीं सुधारोंगे तब तक तुम्हारे अंदर बैठा हुआ रावण तुम्हें सदमार्ग पर नहीं जाने देगा। सद्गुरु की संगति और उनके वाणी विचारों पर चलकर ही हमारे अंदर बैठा हुआ रावण मरेगा। फिर हमें बाहरी रावण को नहीं जलाना पड़ेगा।

इस दौरान सद्गुरु मंगलनाम साहब का साध संगत ने पुष्पमालाओं से सम्मान कर नारियल भेंट किए। आश्रम की चरण सेवा प्राप्त नितिन साहेब, नीरज साहेब ने चौका आरती की। चौका आरती, गुरुवाणी पाठ, भजन सत्संग के बाद सभी साध संगत को महाप्रसादी का वितरण किया गया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

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