शब्दावली महापर्व पर सैकड़ों शब्द पारखियों ने लिया भाग
देवास। शब्दावली महापर्व का अर्थ है शब्द ही संसार है। शब्द के भीतर सब कुछ समाय हुआ है। शब्द अखंड है जिसका कभी खंड नहीं होता। जिसके भीतर भूत, भविष्य और वर्तमान समाय हुआ है। शब्द की पहचान करो, शब्द के भीतर सारे संसार का बीज, पेड़, छाया, माया सब समाया हुआ है। सब खंडित हो जाता है, लेकिन शब्द कभी खंडित नहीं होता। शब्द को कोई शस्त्र भी नहीं भेद सकता। जो निरंतर है, शब्द का असीम प्रकाश है। जिसकी कोई सीमा नहीं है।
यह विचार सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित किए गए शब्दावली महापर्व के दौरान सद्गुरु मंगल नाम साहब ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शब्द की संरचनाओं को समझकर, शब्द के सारे अर्थ, भेद, काल, संधि को सद्गुरु हमारे शब्दों से परखाते हैं और ऐसी परख आ जाती है कि संसार की सारी वस्तुओं का, सूरतों का तोल सूरतों को छोड़कर के विदेही जीव और आत्माओं से अनुभवग्रहित करके पूर्ण कर लेता। है।
उन्होंने कहा संसार जो है तराजू-बांट लेकर तौल रहा है तो कोई सेंटीमीटर से लंबाई-चौड़ाई नाप रहा है। सद्गुरु ने सारी भिन्नताओं को एकता में तौल दिया है। मां के गर्भ से लेकर बुढ़ापे तक शरीर साढ़े तीन हाथ का ही होता है। कहीं-कहीं पौने चार हाथ का है जो भिन्नता है लेकिन बहुमत बहुतायात साढ़े तीन हाथ का ही एक शरीर होता है। यह शरीर की एकता है। बहुत भिन्नताओं में सद्गुरु तुम्हें शरीर की एकता समझा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक ही जानों जीव को, सत्पुरुष को जो विदेही पुरुष है उसे जानों। जैसे ओस की बूंद को देख लेने से लेने से प्यास नहीं बुझेगी वैसे ही सत्पुरुष जीव जो विदेही पुरुष है उसे जानो। उसे जानने से ही तुम्हारा कल्याण होगा। इस दौरान साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब का पुष्पमाला से स्वागत कर नारियल भेंट किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों शब्द पारखी साध संगत शामिल हुए। कार्यक्रम के पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया। यह जानकारी सेवक राजेंद्र चौहान ने दी।
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