– 1 अगस्त से 44 यूनिट पूर्ण क्षमता से चलेगी
– बिजली आपूर्ति बेहतरी के लिए चार माह में सात हजार ट्रांसफार्मर जारी
इंदौर। मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा ट्रांसफार्मरों के स्थानीय स्तर पर मैंटेनेंस यानि रिपेयरिंग के लिए लोकल रिपेयरिंग यूनिट LRU कार्यरत है। इन यूनिटों से कंपनी को ट्रांसफार्मरों के असफलता यानि फेल रेट घटाने में आशातीत सफलता मिली है।
सितंबर अंत से रबी सीजन प्रारंभ होने वाला है। इसकी तैयारी के लिए कंपनी क्षेत्र के इंदौर सहित सभी 15 जिलों में इस तरह की यूनिटों को पूर्ण क्षमता के साथ चलाने के निर्देश दिए गए है, ताकि ट्रांसफार्मरों की मरम्मत समय पर हो एवं रबी सीजन के लिए ट्रांसफार्मरों की उपलब्धता व्यापक हो सके। इधर कंपनी ने जारी वित्तीय वर्ष में अप्रैल से लेकर जून तक सात हजार ट्रांसफार्मर जारी किए हैं।
मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि ट्रांसफार्मरों की उपलब्धता, समय पर उनकी मरम्मत पर पूर्ण ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए मैंटेनेंस संकाय, भंडार संकाय, मैदानी अधिकारी अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री सक्रियता से जुटे हुए है। श्री तोमर ने बताया कि LRU का कार्य गुणवत्ता से करने एवं 1 अगस्त से पूर्ण क्षमता के साथ चलाने के निर्देश दिए गए है, ताकि रबी सीजन के लिए ट्रांसफार्मरों की उपलब्धता में सुगमता की स्थिति बनी रहे।
श्री तोमर ने बताया कि इंदौर जिले में इंदौर ग्रामीण, महू, देपालपुर, एवं बेटमा क्षेत्र के लिए LRU है। इसी तरह अन्य जिलों में भी LRU की स्थापना से ट्रांसफार्मरों के फेल रेट घटाने में मदद मिली है। श्री तोमर ने बताया कि रबी सीजन के लिए प्रति वर्ष 15 हजार से ज्यादा ट्रांसफार्मरों का इंतजाम किया जाता है, ताकि सीजन में कोई परेशानी नहीं हो। इसलिए स्टोर में पर्याप्त मात्रा में ट्रांसफार्मर रखने के साथ ही जिन ट्रांसफार्मरों में कोई छोटी मोटी दिक्कत होती है, उन्हें LRU में ठीक कराया जाता हैं।
प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने बताया, कि इस वर्ष रिकार्ड तोड़ गर्मी की अवस्था में शहरी क्षेत्रों में काफी अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए गए, जहां ट्रांसफार्मर फेल हुए वहां भी समय पर बदला गया। इस तरह करीब तीन माह में सात हजार ट्रांसफार्मर जारी किए गए हैं।
श्री तोमर ने बताया, कि इस वर्ष रबी सीजन के दौरान कंपनी की अधिकतम बिजली मांग 7500 मैगावाट तक पहुंच सकती है, इसी के मद्देनजर कंपनी स्तर पर तैयारी की जा रही हैं। पिछले वर्ष अधिकतम मांग 7200 मैगावाट के करीब थी।
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