शिप्रा नदी के घाटों पर पानी नहीं, कुंड भी सूखे

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– पर्व स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु होते हैं निराश

शिप्रा। देवास से लगभग 10 किमी दूर शिप्रा नदी बहती है, लेकिन यह बहती है सिर्फ बारिश के कुछ महीनों में। शेष दिनों में नदी के घाट पर नाममात्र का पानी रहता है। इन दिनों भी ये ही हाल है। यहां घाट तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन नदी प्रवाहमान हो, इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर स्थानीय ग्रामीणों में नाराजगी है। पर्व स्नान के लिए कई श्रद्धालु यहां स्नान के लिए आते हैं। उन्हें जब स्नान के लिए पानी नहीं मिलता है तो निराशा होती है।

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शिप्रा नदी पर लाखों-करोड़ों की लागत से समय-समय पर सौंदर्यीकरण हुआ। घाट बनाए गए। अमावस्या-पूर्णिमा सहित अन्य पर्वों पर श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। नदी में पानी नहीं होने से स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु परेशान होते हैं। जहां भी कहीं कुंड में पानी मिलता है, वहां स्नान कर परंपरा का निर्वाहन करते हैं।

पहले कल-कल बहती थी नदी-

गत दिवस शिप्रा आए मुक्तानंद महाराज ने भी नदी की दुर्दशा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, कि कई वर्षों पहले शिप्रा नदी पर आया था, तब शिप्रा नदी प्रवाहित होती थी। कल-कल बहती थी। नदी में हमेशा जल रहता था, लेकिन अब नदी में भगवान को चढ़ाने के लिए जल नहीं है। उज्जैन में शिप्रा नदी के घाटों पर पानी है और यहां पर सिर्फ घाट व पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन भी शिप्रा कुंड को जल से भरने के लिए ध्यान दें, ताकि आने वाली पूर्णिमा व हनुमानजी के प्रकट उत्सव पर शिप्रा नदी के घाटों पर स्नान हो सके।

शुद्धिकरण अभियान में सहभागी बने-

मां शिप्रा नदी बचाओ समिति के अध्यक्ष राजेश बराना ने बताया कि हमने शिप्रा नदी के शुद्धिकरण का कार्य प्रारंभ किया है। इसमें सभी का सहयोग चाहिए। हम प्रति सोमवार नदी में सफाई करते हैं। हमारा अाम जनता से अनुरोध है कि वे नदी को साफ रखने के इस अभियान में सहभागी बने।

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