– जहां विक्रमादित्य ने भी की थी उपासना
– मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित है यह मंदिर
देवास/टोंकखुर्द (विजेंद्रसिंह ठाकुर)।
माता जगदंबा की उपासना के मुख्य केंद्रों में टोंकखुर्द का शक्ति माता मंदिर भी महत्वपूर्ण है। इसका इतिहास वर्षों पुराना बताया जाता है। पहले टोंक तोड़ा फिर टोंक चावड़ा और अब टोंकखुर्द के नाम से पहचाने जाने वाले नगर में यह स्थान एबी रोड पर टोंककला से 9 किलोमीटर पूर्व और देवास से 28 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है। माता के दरबार में सभी धर्मावलंबी शीश नवाते हैं।
मान्यता है, कि वीर विक्रमादित्य युद्ध जीतकर जब अवंतिका से चलकर अपने मामा गंधर्व सेन से मिलने गंधर्वपुरी जा रहे थे तब वह रास्ते में टोंकखुर्द रुके और यहां शक्ति पीठ पर उपासना की। वहीं इस प्रांगण में संत विकारी दास ने भी तपस्या की थी। सोमनाथ गुजरात के चावड़ा वंशीय राजपूत की देवी ने उन्हें टोंक में जाकर बसने की प्रेरणा दी और वह यहां आकर बसे
ऐतिहासिक महत्व-
माता अहिल्या ने भी इस स्थान का महत्व समझकर इसे ही साधना स्थल बनाया था। मुंडी तलाई तालाब की मस्जिद और देवी का मंदिर पिंडारियों के इतिहास से जुड़े होने की बात कही जाती है। यह स्थल ऐतिहासिक रूप से भी प्रसिद्ध है।
विकास की दिशा में हो रहे कार्य-
यहां मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होने के विश्वास के साथ देशभर के भक्त यहां आते हैं। एक समय पर यहां बली भी चढ़ाई जाती थी, जो बंद हो चुकी है। मां के दरबार में मनोकामना मांगने के बाद निर्धनों को धन प्राप्त होता है, नि:संतानों को पुत्र होने की कहानी इस क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। मंदिर के धार्मिक महत्व को बनाए रखते हुए इसे मानव सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में भी काम हो रहे हैं। नवरात्र में अखंड ज्योत जलाई जाती है। दर्शन के लिए देशभर के हजारों भक्त आते हैं।
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