शिवजी की कृपा के लिए समर्पण चाहिए संपत्ति नहीं- पुष्पानंदन महाराज

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  • देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन भक्ति गीत पर खूब झूमे श्रद्धालु

देवास। स्थानीय मोहरी कुआं तोड़ी स्थित गंगा पार्क कॉलोनी के पास पुष्पानंदन महाराज कांटाफोड़ वाले के श्रीमुख से बह रही सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा रूपी ज्ञानगंगा में सैकड़ों धर्मप्रेमी प्रतिदिन डुबकी लगाकर धर्म लाभ ले रहे हैं।

कथा के पांचवें दिन पुष्पानंदन महाराज ने कहा, कि शिवजी की कृपा के लिए समर्पण चाहिए, संपत्ति नहीं। भगवान शिव संसार का बीज है, इसलिए शिवजी पर जल अर्पण करने की परंपरा संसार में विद्यमान है। संसार में कोई चीज निर्मित होती है, तो उसके लिए एक बीज होता है। बीज को पानी चाहिए इसलिए शिवजी को जल चढ़ाया जाता है।

उन्होंने कहा, कि इस चराचर जगत का आधार बीज भगवान शिव है। जब हम श्रद्धा से उनको जल अर्पित करते हैं तो इस चराचर जगत में रहते हुए भी हम कष्ट मुक्त होकर अपने जीवन को सहजता से पूर्ण कर लेते हैं। हमें भटकने की अपेक्षा शिवजी की शरण में जाना चाहिए।

शिवजी का हृदय विष्णु नारायण तो नारायण का हृदय शिवजी है, इसलिए हमें शिव में और नारायण में कोई भेद नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, कि समस्त जगत के पिता भगवान शिव को और माता भगवती पार्वती को माना गया है। शिवजी जगत के माता-पिता हैं। हम सब आत्माएं उनकी संतति हैं और जीवन में संकट आने पर संतान अपने जनक से उसके समाधान की प्रार्थना कर सकती हैं। उन्होंने कहा, कि हमें निरंतर भगवान शिव की आराधना में रत रहते हुए अपने जीवन को जीना चाहिए। आत्मा जब भगवान शिव और पार्वती की आराधना करती हैं, उन्हें आत्मा के माता-पिता की सेवा करने का पुण्य प्राप्त होता है। इस तरह शिव के दिव्य रहस्यों को समझ कर हमें अपने जीवन को जीना चाहिए।

shiv mahapuran

इस दौरान देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन भक्ति गीत की प्रस्तुति पर श्रोता झूमने लगे। कथा में गणपतिजी का धूमधाम से रिद्धि-सिद्धि के साथ विवाह उत्सव मनाया गया। ढोल-धमाके के साथ भक्तों ने बारात निकाली। श्रीगणेश और रिद्धि-सिद्धि का विवाह ज्ञान और समृद्धि के मिलन का संदेश प्रदान करता है। आयोजक मंडल के प्रजापति कांकरवाल परिवार एवं श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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