देवास। अहंकार से मनुष्य का पतन हो जाता है। भगवान शिव के ससुर दक्ष महाराज देव समाज के अध्यक्ष बने और उनके अंदर अहंकार आ गया। उन्होंने देव आदि देव महादेव का अपमान कर दिया। इस अपमान के फल स्वरूप उनको अपने अस्तित्व को समाप्त करना पड़ा। अहंकार के कारण उनका अस्तित्व समाप्त हो गया।
यह विचार मल्हार तोड़ी गंगा पार्क कॉलोनी के पास सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से पुष्पानंदन महाराज कांटाफोड़ वाले ने व्यक्त किए। महाराजश्री ने कहा, कि शिव महापुराण हमें शिक्षा देती है, कि हमारे पद का, हमारी प्रतिष्ठा का जब-जब हमें अहंकार होता है तो वह अहंकार रूपी पद, प्रतिष्ठा ही हमारे पतन का कारण बनते हैं। भगवान शिव के गणों ने दक्ष प्रजापति का शीश काटकर प्रधान कुंड की आहुति बनाया और दक्ष का अस्तित्व समाप्त हुआ। भगवान शंकर की देवताओं ने प्रार्थना की और उन्होंने यज्ञ को संपन्न कराया।
महाराजश्री ने कहा, कि हमारे सनातन धर्म में यह नियम है, कि आप चाहे किसी भी देवता की आराधना करें, लेकिन देव आदि देव शिव की आराधना के बिना किसी भी जीव को पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता, इसलिए हमें भगवान शिव में और भगवान नारायण में कभी भी भेद नहीं करना चाहिए। भगवान शिव की आराधना से नारायण और भगवान नारायण की आराधना से शिव प्रसन्न होते हैं।
इस दौरान महाराजश्री ने आई शिवजी की बरतिया हिमाचल नगरी… जैसे एक से बढ़कर एक सुमधुर भक्तिमय गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमने लगे। कथा में धूमधाम से शिव-पार्वती विवाह हुआ। मुख्य अतिथियों, आयोजक मंडल के किशनलाल, लक्ष्मी नारायण, बाबूलाल, गोपाल प्रजापति कांकरवाल द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की गई। कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होगा। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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