- 50 हजार रुपए क्विंटल बिकने के बाद अब औसतन 30 हजार रुपए क्विंटल में बिक रही
बेहरी। खेतों में सफेद सोना अर्थात लहसुन की अच्छी पैदावर हो रही है। शुरुआती भाव के रूझानों ने किसानों के चेहरे पर चमक ला दी है। मंडी में लहसुन के भाव 50 हजार रुपए क्विंटल तक पहुंचे और औसत भाव अब 30 हजार रुपए चल रहा है। इधर भाव का यह अंतर किसानों की नींद भी उड़ा रहा है। भाव कम होने की चिंता में किसान जल्द से जल्द लहसुन बेचने का प्रयास कर रहे हैं।
मंडी में औसत रूप से 30 हजार रुपए क्विंटल में लहसुन बिक रही है तो खैरची में यही भाव 400 रुपए किलो तक है। क्षेत्र में सैकड़ों किसान ऐसे हैं, जिनके खेतों में यह महंगी फसल अपने अंतिम दौर में गुजर रही है। 35 से 40 दिनों के बाद लहसुन की फसल किसानों के खलिहान में आना शुरू हो जाएगी, लेकिन तब तक लहसुन का भाव स्थिर रहे या ना रहे यही चिंता किसानों को सता रही है। कुछ किसान लहसुन फसल को जल्द पकाने के तरीके ढूंढ रहे हैं, ताकि समय रहते उचित भाव मिल जाए।
क्षेत्र से जुड़े किसान अजय पाटीदार, शिवनारायण पाटीदार व प्रताप बछानिया ने बताया कि क्षेत्र में आसपास के दर्जनभर गांव में लहसुन फसल बेहतर रूप में दिखाई दे रही है, लेकिन अभी इसे पकने में और मंडी जाने तक 40 से 50 दिन का अंतराल बाकी है। यही समय किसानों को चिंतित कर रहा है। किसानों का मानना है, कि जैसे ही लहसुन की मात्रा अधिकतम हो जाएगी यह भाव सीधे-सीधे एक शून्य कम हो जाएगा। कहने का तात्पर्य 3 से 5 हजार रुपए क्विंटल तक इस फसल की कीमत आ सकती है। कुछ किसान समय से पहले 10 हजार रुपए क्विंटल तक सौदा करने के लिए तत्पर हैं, लेकिन व्यापारी इस संबंध में चर्चा करता नजर नहीं आ रहा है।
नीमच के लहसुन व्यापारी दीपेशकुमार जैन ने बताया लहसुन भाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसके पूर्व दक्षिण भारत में लहसुन की बड़ी खपत होने से भाव बढ़ गए थे, लेकिन आने वाले 15 दिनों में भाव कम हो जाएंगे। बेहरी के किसान मांगीलाल पाटीदार व अजय पाटीदार ने विगत सप्ताह अपनी लहसुन 42 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची थी। एक सप्ताह बाद यही क्वालिटी महज 30 हजार रुपए क्विंटल में बिकी। इस प्रकार भाव का फर्क किसानों की चिंता बढ़ा रहा है।
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