– राजाराम नगर स्थित श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा की पूर्णाहुति
देवास। मोह-माया, विषाद तो अर्जुन को भी हुआ था। जो गीता पढ़ता है, वह कर्मयोगी बन जाता है। उसे भक्ति प्राप्त हो जाती है, उसका मोह खत्म हो जाता है। गीता के 10वें-12वें अध्याय पितृों को मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। 10वां अध्याय भगवान के विराट स्वरूप का दर्शन करवाता है। भगवान तो कण-कण में है। भगवान चिल्लाने से नहीं मिलते, हृदय की गहराई में उतरने से मिलते हैं। हृदय की गहराई में उतरोंगे तब दिव्य ज्ञान का प्रकाश होगा और भगवान के दर्शन होंगे।
यह अनुकरणीय संदेश राजाराम नगर स्थित श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा की पूर्णाहुति पर आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा दर्शन करने मात्र से बुद्धि शुद्ध नहीं होती। जब तक मन का विकार दूर नहीं होता, काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ की बेड़ियां नहीं हटती, तब तक भगवान का साक्षात्कार नहीं होता है। भक्ति के मार्ग में चलते हैं तो कष्ट भी आते हैं, लेकिन जो कष्ट आने पर भी भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ता भगवान की कृपा भी उसी पर होती है। भगवान सबकुछ करने में समर्थ हैं, हम भी तो उनके लिए कुछ करें। हम मंदिर जाते हैं तो साथ में मांगों की लंबी लिस्ट तैयार रहती है।
आचार्यश्री ने कहा माया, मोह, बंधन ये शूल की तरह चुभते हैं। पुराण कहता है जंजीर से मुक्त हो सकते हैं, लेकिन मोह-माया में पड़ा हुआ मनुष्य मुक्त नहीं हो सकता। आप धन का हिसाब तो जोड़ते हैं, लेकिन कितनी पूजा की, कितनी माला फेरी, कितना भगवान का नाम स्मरण किया। खाते में कितना पुण्य कमाया इसका भी हिसाब लगाया करें। जीवन में शुभ कर्म ही परमात्मा से जोड़ते हैं।
आचार्यश्री ने कहा संसार में कोई किसी का नहीं है, हम तो अपना कर्म करने आए हैं। जिस प्रकार पानी के प्याऊ में बहुत सारे जीव पानी पीने के लिए आते हैं और चले जाते हैं, उसी प्रकार इस संसार समुद्र में हम परमात्मा का भजन करने आए हैं। जब तक मुक्ति नहीं मिलेगी, तब तक जन्म-जन्मांतर का चक्र चलता रहेगा। मनुष्य का जन्म मिला है सन्मार्ग पर जाने के लिए। कथा में होते हैं तब तक भक्ति के अधीन होते हैं और बाहर निकलते ही मोह-माया के चक्कर में उलझ जाते हैं।
आचार्यश्री ने कहा भगवान का नाम संकीर्तन करने से दुखों का नाश हो जाता है, भगवान को प्रणाम करने से सारी विपत्तियों का नाश हो जाता हैै। मन संसार में पड़ा रहेगा तो बंधन होगा और कथा हमें बंधन से मुक्त करती हैै। जहां भगवान हैं, वहां विजयश्री और मोक्ष है।
कथा में यजमान आकाश शर्मा-सोनाली ने पूजन-अर्चन किया। आरती में करणी सेना परिवार की प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पलता सोनगरा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा ने बताया 24 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से भंडारा होगा। अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इस दौरान घर-घर में दीप प्रज्वलित करने और दीपावली के समान उत्सव मनाने का आग्रह पं. पाराशर ने श्रद्धालुओं से किया।
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