संसार की मोह-माया ने हमें कोमल हंस से कौआ बना दिया

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आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने शिव महापुराण कथा में दिए अनुकरणीय संदेश
देवास। हम देवों के अंश हैं। हम निर्मल बनकर संसार में आए हैं। छोटे बच्चे को गोद में लेने की सभी इच्छा करते हैं, क्योंकि उसके हृदय में छल-कपट, अहंकार नहीं होता। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, उसके मन में अहंकार-लोभ उत्पन्न होता है। हम आए तो कोमल हंस बनकर, लेकिन इस संसार की मोह-माया ने हमें कौआ बना दिया। हम देवता बनकर आए थे, लेकिन यहां हमने आसुरी प्रवृित्तियों को ग्रहण कर लिया। देवता कैसे बना जाता है, यह गणेशजी का पाठ अथर्वशीर्ष हमें सीखाता है।
यह विचार राजाराम नगर स्थित श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा में आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा देवता बनने के लिए भगवान की कथा श्रवण करना जरूरी है। जो भगवान की कथा को अपने कानों से श्रवण करते हैं, चिंतन करते हैं, अनुसरण करते हैं वे देवतुल्य हैं। जिनके मन में सर्व कल्याण की भावना है, जो सभी का कल्याण चाहते हैं वे देवतुल्य हैं। आचार्यश्री ने कहा हमें भगवान ने नेत्र दिए श्रेष्ठ दर्शन के लिए, कान दिए हैं सत्संग श्रवण के लिए। आप कथा में जो भी सुनेंगे, उससे आपका कल्याण ही होगा। कथा आधा घंटा सुन ली और उसके बाद फिर से चुगली-निंदा में लग गए तो कल्याण कैसे हो सकेगा। सदैव भगवान का स्मरण करें तो आप भी देव बन सकते हैं।


आचार्यश्री ने कहा मां पार्वती को भगवान शंकर ने अमरकथा सुनाई, लेकिन मां पार्वती पूरी कथा नहीं सुन सकीं। अमरकथा भगवान राम का, भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र है। शिवजी नित्य रामायण सुनते हैं। भगवान श्रीकृष्ण भी सदैव नारायण के ध्यान में रहते हैं। अमरग्रंथ भगवान की लीलाओं का चरित्र हैं। आचार्यश्री ने कहा जन्म-जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। कथा के दौरान श्रोता-वक्ता दोनों को जाग्रत होना चाहिए। हम कथा नहीं सुनते, हम तो कथा में अपने मन की बात सुनते हैं। हमारा काम कैसे होगा, धन कैसे आएगा यह सब सुनते हैं। भगवान की कथा का वही अधिकारी है, जिसे भगवान से प्रेम है। परमात्मा ने तो आपका कल्याण पहले ही मनुष्य जन्म देकर किया है। कर्म की खेती श्रेष्ठ होती रहेगी परमात्मा बगैर मांगे ही सबकुछ देते रहेंगे।
आचार्यश्री ने कहा भगवान श्री गणेश संकटों का नाश करते हैं। चतुर्थी का व्रत संपूर्ण मनोरथ को पूरा करता है। जो भगवान गणेशजी की आराधना करते हैं, उनके घर शुभ-लाभ बिना बुलाए आ जाते हैं। रिद्धि-सिद्धि का भंडार होता है। जिनके घर में सुख-शांति नहीं है, धन नहीं आता है वे घर के द्वार पर गणेशजी या पंचमुखी हनुमानजी का चित्र लगाएं। भगवान गणेश विपत्तियों काे दूर करते हैं। आयोजक श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा ने श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर पुण्यलाभ लेने का अनुरोध किया है।

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