- श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा में आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने कहा
देवास। भगवान शिव का अनुग्रह जिसे प्राप्त हो जाता है, वह धन्य हो जाता है। हम भी भगवान शिव के मंदिर में जाए तो प्रार्थना करें कि जन्म-जन्मांतर तक हमें आपका अनुग्रह प्राप्त होता रहे। पांच प्रकार के तत्व हैं, छठा तत्व शिव तत्व कहा गया है। शिव महापुराण में किस भगवान की परिक्रमा कितनी होनी चाहिए, इसका वर्णन है। शिवजी की आधी, माताजी की एक परिक्रमा, गणेशजी की तीन परिक्रमा, भगवान विष्णु, राम एवं कृष्ण की पांच परिक्रमा करना चाहिए। भगवान शिवजी जब गोकुल में दर्शन करने के लिए गए थे, तब उन्होंने पांच बार परिक्रमा की थी।
यह विचार राजाराम नगर स्थित श्री राधा गोविंद धाम में शिव महापुराण कथा में आचार्य पं. देवेंद्र पाराशर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा बार-बार अपने नाम का बखान नहीं करना चाहिए। अपना नाम लेने से सम्मान समाप्त हो जाता है। गुरु एक ही होना चाहिए और गुरु नाम भी एक ही होना चाहिए। गुरु के नाम से नहीं पुकारना चाहिए। जो गुरु का नाम लेता है, उसका पुण्य समाप्त हो जाता है। आचार्यश्री ने कहा दुष्ट व्यक्ति का नाम भी नहीं लेना चाहिए। दुष्ट व्यक्ति का नाम लेने से प्रतिष्ठा में कमी आती है और पाप में वृद्धि होती है।
आचार्यश्री ने कहा तीर्थों में पाप नहीं करना चाहिए। अगर तीर्थ में पाप हुए तो द्ढ़ हो जाते हैं। तीर्थों में तो पुण्य कमाने के लिए जाते हैं। तीर्थ में पूजन-तृपण आदि किया जाता है। तीर्थ में तृपण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। शिव महापुराण कथा का महत्व बताते हुए आचार्यश्री ने कहा जो भी शिव महापुराण कथा का श्रवण करता है, उसे भी तीर्थ स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। उन्होंने कहा शास्त्रों में त्रिकाल संध्या का विशेष महत्व है। अगर त्रिकाल संध्या ना कर सको तब भी सुबह-शाम अवश्य ही पूजन-अर्चन करना चाहिए। गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। घर में दीपक आरती होनी चाहिए। सूर्यादय एवं सूर्यास्त पर सोना नहीं चाहिए।
आरती में देविप्रा अध्यक्ष राजेश यादव अतिथि के रूप में शामिल हुए। यजमान आकाश शर्मा एवं निकिता शर्मा ने पूजन-अर्चन किया। आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। आचार्यश्री प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक कथा वाचन कर रहे हैं। आयोजक श्रीकृष्णानुरागी पं. सत्येंद्र शर्मा ने श्रद्धालुओं से कथा श्रवण कर पुण्यलाभ लेने का अनुरोध किया है।
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