– जिले में तहसील सोनकच्छ, बागली, कन्नौद, खातेगांव एवं टोंकखुर्द न्यायालयों में भी लगेगी लोक अदालत
देवास। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रभात कुमार मिश्रा के मार्गदर्शन में 9 दिसम्बर शनिवार को जिले के समस्त न्यायालयों में वृहद स्तर पर इस वर्ष की चतुर्थ ‘’नेशनल लोक अदालत’’ का आयोजन किया जा रहा है।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण निहारिका सिंह ने बताया, कि 9 दिसम्बर को देवास मुख्यालय एवं तहसील सोनकच्छ, बागली, कन्नौद, खातेगांव एवं टोंकखुर्द के न्यायालयों में वर्ष की चतुर्थ नेशनल लोक अदालत आयोजित की जाएगी। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में लंबित एवं वादपूर्व समझौता योग्य आपराधिक, सिविल, पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा अधिनियम, भरण-पोषण मामले, विद्युत चोरी प्रकरण, चैक बाउन्स, बैंक रिकवरी, श्रम मामले, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, भू-अर्जन, नगर निगम के जलकर एवं संपत्तिकर, बीएसएनएल के प्रकरण आदि विषयक प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा।
संपूर्ण जिले में अब तक समस्त न्यायालयों के 5509 लंबित प्रकरण एवं 3681 प्रिलिटिगेशन के प्रकरण नेशनल लोक अदालत में निराकरण हेतु रेफर किए गए हैं। उक्त प्रकरणों के निराकरण हेतु समस्त संबंधित पक्षकारों को सूचना पत्र जारी कर दिए गए हैं। नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण हेतु बीमा कंपनियों, विद्युत विभाग, बैंक, नगर निगम आदि के साथ 41 प्रिसिटिंग आयोजित की गई हैं। नेशनल लोक अदालत में बीमा कंपनियों, विद्युत कंपनी, बैंक, नगर निगम एवं बीएसएनएल के प्रकरणों के निराकरण हेतु संबंधित अधिकारीगण न्यायालय परिसर में ही स्टॉल लगाकर उपस्थित रहेंगे। नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों का निराकरण होने पर पक्षकारों को स्मृति के रूप में एक-एक पौधा भेंटकर पौधारोपण के लिए प्रेरित किया जाएगा।
नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों का निराकरण कराने पर विद्युत अधिनियम के अंतर्गत न्यायालयों में लंबित प्रकरणों एवं प्रिलिटिगेशन प्रकरणों, नगर निगम के जलकर एवं संपत्तिकर के प्रिलिटिगेशन प्रकरणों एवं बैंक रिकवरी के प्रिलिटिगेशन प्रकरणों में संबंधित विभागों द्वारा नियमानुसार विशेष छूट दी जाएगी।
पक्षकार संबंधित न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर नेशनल लोक अदालत में राजीनामा कर प्रकरण का निराकरण करा सकते हैं। लोक अदालत में ’’न तुम जीते न मैं हारा’’ की भावना के साथ राजीनामा के आधार पर मामले का शीघ्र और बिना किसी व्यय के निराकरण होता है इससे पक्षकारों के बीच का प्रेम और स्नेह बना रहता है। नेशनल लोक अदालत में दीवानी एवं चैक अनादरण से संबंधित प्रकरणों में न्याय शुल्क की राशि की नियमानुसार वापसी होती है जिससे पक्षकारों को अतिरिक्त लाभ होता है। अधिक से अधिक पक्षकार इस अवसर का लाभ उठाएं।
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