जंगल में स्थित हैं बगोई माता

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– यहां भक्तों के कष्टों का निवारण करती हैं मां चामुंडा, मां तुलजा एवं मां शीतला 

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। गांव के पश्चिम दिशा में पंचायत मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर जंगल एवं दुर्गम रास्ते से होकर बगोई माता के मंदिर में पहुंचते हैं।

प्राचीन मान्यता अनुसार देवी शक्ति पाषाण प्रतिमाओं में 84 शक्तिपीठ के रूप में विराजित हैं। क्षेत्र के 20 से अधिक गांव के लोग चैत्र नवरात्रि एवं कुंआर माह की नवरात्रि पर यहां श्रद्धा से पूजन-अर्चन करने आते हैं। जंगल में होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है, लेकिन नवरात्रि पर्व पर 9 दिन तक पूजा-अर्चना का दौर चलता है।

ग्रामीणों के अनुसार छोटे बच्चों को बड़ी माता एवं छोटी माता निकलती है तो यहां पर नारियल की मन्नत करने से इस बीमारी से राहत मिल जाती है। कई बार खासी भी विकराल रूप ले लेती है। बगोई माता मंदिर में तीन देवियों का स्थान है। बेहरी के ज्वाला देवी माता पुजारी मुकेश महाराज ने बताया, कि इस स्थान पर तीन देवियों का संगम है। मां चामुंडा देवी, मां तुलजा देवी एवं मां शीतला देवी। तीनों देवी यहां पर चमत्कारिक रूप से भक्तों के दुख-दर्द दूर करती हैं। श्रद्धालु भागीरथ पटेल के अनुसार वर्ष में दो बार माता अपने भक्तों के दुख-दर्द दूर करने इस स्थान पर आती है। यहां पर श्रद्धा से पूजा करने पर मनचाहा फल मिलता है। सभी ओर नवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है। लोग कुलदेवी के रूप में घरों में भी सप्तमी, अष्टमी, नवमी पर पूजन करते हैं, लेकिन इस स्थान पर 9 दिन तक कई श्रद्धालु लगातार पूजा करने आते हैं। भेंसोड़ा मंदिर के पुजारी रमेश दास का कहना है, कि शासन-प्रशासन चाहे तो बगोई माता मंदिर तक उचित मार्ग बनवा सकते हैं, ताकि यह स्थान भी आमजनों की पहुंच में शामिल हो जाए। वन क्षेत्र होने से वन विभाग भी प्रयास करें तो मनरेगा से यहां तक सुलभ मार्ग बनवा सकता है। समीप ही पानी की व्यवस्था भी वन विभाग द्वारा करवा दी जाए तो वन्य पशुओं को पीने के पानी की व्यवस्था भी हो जाएगी। जंगल होने के कारण यहां पर वन्य पशु विचरण करते नजर आते हैं।

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