– 6 तरह के वाद्य यंत्रों में मिली थी मास्टर डिग्री, इसलिए कहलाए मास्टर
– उस्ताद रज्जब अली खां साहब और कुमार गंधर्व के अंतिम संगत साथी थे
बागली (हीरालाल गोस्वामी)। नस तरंग संगीत विद्या में महारत हासिल करने वाले मास्टर दीनानाथ वैद का विगत दिनों बागली में 107 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे स्वास्थ्य कारणों से पिछले पांच सालों से संगीत से दूर थे। उनके संगीत को सुन रसिक श्रोता भाव-विभोर हो उठते थे। अपने संगीत से मंदिर में दीप प्रज्वलित करने की आश्चर्यजनक घटना उनके प्रशंसक बयां करते हैं।
परिजन बताते हैं, कि बागली राज परिवार की पांचवी पीढ़ी तक ने उनकी संगीत कला को निहारा है। सन 1960 के दशक में देवास के साथ नाम संगीतकार उस्ताद रज्जब अली खां साहब और कुमार गंधर्व के साथ कई बार संगीत संगत करने का अवसर मास्टर दीनानाथ को मिला। वह 6 तरह के वाद्य यंत्र बखूबी बजा लेते थे। तबला, ढोलक, हारमोनियम, सेक्सफोन, कल्लारनेट, इम्फलाट इन सभी वाद्य यंत्रों में उन्हें मास्टर डिग्री मिली थी, तभी से उनके नाम के आगे मास्टर लगने लगा। सन 1968 में बसंत पंचमी के अवसर पर चंपा बाग मंदिर में क्षेत्र के ख्यात नाम संगीतज्ञ एकत्रित हुए, उसी वक्त पुजारी के कहने पर मास्टर दीनानाथ ने संगीत राग दक्षिणी पीलू गाकर मंदिर के दीप प्रज्वलित करने का किस्सा क्षेत्र के कई लोग जानते हैं।
कला के लिए नहीं लिया मेहनताना-
उनके पुत्र शांतिलाल वैद एवं अशोककुमार वैद ने बताया कि 1968 में इंदौर आकाशवाणी केंद्र में उनकी बतौर शास्त्रीय संगीतज्ञ के रूप में नियुक्ति हो गई, लेकिन सरस्वती के पुजारी ने अपनी कला को बेचना और उसके बदले मेहनताना लेना उचित नहीं समझा और अपनी कला को कला पारखियों के बीच प्रस्तुत करना ही उचित समझा।
लगातार 38 घंटे वाद्य यंत्र बजाने का रिकॉर्ड
परिजन बताते हैं, कि आष्टा क्षेत्र के श्रृंगार चोरी गांव में आयोजित संगीत प्रतियोगिता में लगातार 38 घंटे तक सेक्सोफोन वाद्य बजाकर रिकॉर्ड अपने नाम किया। उनकी 13वीं पीढ़ी तक संगीत बजाने का काम जारी रहा, शायद अब आगे यह विद्या रुक जाए। उनके विषय में अन्य जानकारी अनुसार बसंत पंचमी पर 3 घंटे तक एक पैर पर खड़े रहकर सरस्वती की आराधना करना उनके क्रम में शामिल रहा। विगत 5 वर्षों से स्वास्थ्य कारणों से वह संगीत से दूर हो गए।
उनके नाम से बनेगा वार्ड में स्मारक-
बागली नगर परिषद उपाध्यक्ष आरती विपिन शिवहरे ने बताया, कि शीघ्र ही वह नगर परिषद में प्रस्ताव पारित करवाकर मास्टर दीनानाथ वैद के नाम से उनके ही वार्ड में सड़क का नाम या किसी स्मारक को बनाने का प्रस्ताव रखेंगे और शीघ्र ही उस पर अमल करेंगे।
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