– गाय को भटकने के लिए छोड़ने वालों को संदेश दे रहे राजेंद्र पटेल
– परिवार के सदस्य की तरह करते थे देखरेख, जाने के बाद गमगीन है परिवार
देवास। बूढ़े मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ने वाले कई बेटों के उदाहरण सामने मिल जाएंगे। स्वार्थ-मतलब के दौर में अपने पशु को परिवार के सदस्य की तरह पालन-पोषण करने वाले इस संसार में विरले ही होते हैं। देवास जिले के ग्राम सुनवानी महाकाल के सरपंच राजेंद्र पटेल की गाय की मृत्यु पिछले दिनों हुई थी। यह उनके लिए सिर्फ एक गाय नहीं, बल्कि मां के समान थीं। जिसकी अंतिम क्रिया, उन्होंने पूर्ण विधि-विधान से करवाई। बुधवार को गोरनी का कार्यक्रम करवा रहे हैं, जिसमें 1 हजार से अधिक ग्रामीणों के लिए भंडारा रखा है।
गायों को सिर्फ पशु मानने वाले पशु पालकों को एक सशक्त संदेश देने वाले ग्राम सुनवानी महाकाल के सरपंच राजेंद्र पटेल कई वर्षों से गाेमाता की देखरेख परिवार के सदस्य की तरह ही कर रहे थे। पिछले दिनों गोमाता की मृत्यु पर परिवार का प्रत्येक सदस्य गमगीन नजर आया। उसका अंतिम संस्कार विधि-विधान से किया।
गोरनी का कार्यक्रम 9 अगस्त को रखा गया। इस दौरान सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक 1 हजार से अधिक लोगों के लिए भंडारा रखा है। प्रसाद ग्रहण करने के लिए आसपास के गांवों से भी ग्रामीण अाएंगे।
कभी नहीं भूल सकते उपकार-
दुखी मन से सरपंच राजेंद्र पटेल बताते हैं, कि यह हमारे लिए पशु नहीं परिवार का सदस्य थीं। गोमाता ने ही मुझे एक लाख रुपए का पुरस्कार दिलवाया था। गोमाता का अाशीर्वाद हम पर सदैव बना रहा। हम उनके उपकार को कभी नहीं भूल सकते।
यह कार्यक्रम नहीं, बल्कि सीख है-
भारतीय किसान संघ के जिला महामंत्री शेखर पटेल गोसेवक सरपंच राजेंद्र पटेल की सराहना करते हुए कहते हैं, कि ऐसा कार्यक्रम पहली बार गांव में हो रहा है। गोमाता को रोड पर भटकने के लिए छोड़ने वालों को इससे सीख लेना चाहिए। अगर गोमाता दूध भी नहीं दे रही है, तब भी उसका गोबर व गोमूत्र बहुत उपयाेगी है। खेती में इनका उपयोग करते हुए जैविक फसल उगा सकते हैं। यह गोरनी का कार्यक्रम सिर्फ कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक सीख है। गोमाता का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। हम सभी संकल्प लें कि कोई भी गोमाता को भटकने के लिए नहीं छोड़े।
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