- दर्शनमात्र से भक्तों के कष्टों का होता है निवारण, पूरी होती है मनोकामना
सुंद्रेल-बिजवाड़। देवास जिले की कन्नौद तहसील के ग्राम बिजवाड़ में महाभारतकालीन कौरव-पांडवों के समय का सैकड़ों वर्ष प्राचीन भगवान बिजेश्वर महादेव का मंदिर है। इस चमत्कारिक मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है। यहां विराजित हैं भगवान बिजेश्वर महादेव। दर्शनमात्र से ही भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं बिजेश्वर महादेव।
यूं तो बारह महीने ही यहां शिवभक्तों का तांता लगा रहता है, फिर भी सावन माह में दर्शनार्थियों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। बिजेश्वर महादेव मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां जो शिवलिंग है, उसका आकार तिल-तिल कर बढ़ता है। पहले यह लघु रूप में था, लेकिन अब इसका रूप बढ़ गया है। इस मंदिर का निर्माण कौरव-पांडवों ने किया था। पहले इसका मुंह पूर्व की ओर था, लेकिन माता कुंती के कहने पर पांडवों ने वनवास के समय मंदिर का मुख पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा में कर दिया। मंदिर में पत्थरों पर की गई कारीगरी मन मोह लेती है। मंदिर के निर्माण के दौरान सीमेंटकांक्रीट का उपयोग नहीं हुआ। पत्थरों से निर्मित यह मंदिर सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी मजबूती के साथ खड़ा है। मंदिर की दीवारों पर एक भी दरार नहीं है। मंदिर का शिखर दूर तक नजर आता है। शिखर के दर्शन कर लोग स्वयं को धन्य समझते हैं। मंदिर से चौबीस घंटे ही ऊं नम: शिवाय मंत्र की गूंज वातावरण में फैलती है।
यहां मंदसौर पशुपतिनाथ मंदिर के संस्थापक स्वामी प्रत्यक्षानंद महाराज कालूखेड़ा ने कठिन तपस्या की थी। महाशिवरात्रि पर 8 दिन का मेला लगता है। दूर-दूर से दुकानदार मेले में अपना सामान बेचने आते हैं। महाशिवरात्रि के दिन लाखों दर्शनार्थी पैदल चलकर अपनी मन्नतें पूर्ण होने पर अपने बच्चों का तुलादान करते हैं व बाल उतारते हैं।
समय-समय पर हुए विकास कार्य-
मंदिर के आसपास तत्कालीन सरपंच विक्रमसिंह गौड़ ने सुंदर घाट का निर्माण करवाया। संत स्वामी भागवतानंद महाराज और स्वामी नित्यानंद महाराज की असीम कृपा से यहां पर विशाल धर्मशाला का निर्माण हुआ है। धर्मशाला में साधु-संत आकर रुकते हैं और भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। यहां पर यज्ञशाला एवं सुंदर द्वार बना हुआ है।
वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि संतोष धाकड़ ने दतूनी नदी के सुंदर घाट के आसपास गहरीकरण करवाया है। पुजारी पं. दिनेश व्यास, पं. गजेंद्र व्यास ने बताया कि भगवान बिजेश्वर महादेव की अनुपम कृपा है, कि क्षेत्र में आज तक किसी प्रकार की कोई बड़ी घटना या अनहोनी नहीं हुई। इस मंदिर की छटा देखने लायक रहती है। सायंकाल में बिजेश्वर भक्त मंडल द्वारा आरती का आयोजन होता है। इसमें आसपास के कई गांव के भक्त शामिल होते हैं।
स्थानीय निवासी जग्गा सेठ भगवान बिजेश्वर महादेव के परम भक्त हैं। भगवान बिजेश्वर के दर्शन करने सुबह 4 बजे आते हैं। वे ढाबा संचालित करते हैं। वे साधु-संतों के भाेजन प्रसाद के लिए तत्पर रहते हैं। साथ ही धार्मिक आयोजनों में खुले हाथ से आर्थिक मदद भी करते हैं।
लेखक: दिनेशचंद्र पंचोली, शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ पत्रकार (मोबाइल- 8878879550)
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