– गठन नहीं करने पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के तहत लगेगा 50 हजार रुपए का जुर्माना
देवास। लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक शासकीय एवं अशासकीय कार्यालय जहां 10 या 10 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, वहां आंतरिक समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेलम बघेल ने बताया कि देवास जिले के सभी शासकीय एवं अशासकीय संस्थान में नियोजक लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के अंतर्गत आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर लें। समिति गठित न होने की दशा में 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न महिलाओं के समानता एवं स्वतंत्रता से जीने के अधिकार का हनन है। लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित और युक्तियुक्त गरिमामय वातावरण उपलब्ध कराता है, ताकि कामकाजी महिलाएं ससम्मान व गरिमा से कार्य कर सकें। इस अधिनियम में समस्त विभाग, उपक्रम मंडल, निगम, कंपनी, स्थानीय प्राधिकरण, प्राइवेट सेक्टर, प्राइवेट उद्यम, सोसायटी, न्याय, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, खेलकूद संस्था, असंगठित क्षेत्र सम्मिलित हैं।
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