चातुर्मास में हर गली-मोहल्ले से उठ रही भक्ति की स्वर-लहरियां
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। सावन का आगमन होते ही गांव की आबोहवा बदल जाती है। एक ओर जहां खेतों में हरियाली मुस्कराती है, वहीं दूसरी ओर घर-आंगनों में भक्ति की बयार बहने लगती है। चातुर्मास की शुरुआत के साथ ही गांव बेहरी के हर गली, चौपाल और मंदिरों से तुलसीकृत रामायण की चौपाइयां गूंजने लगी हैं।
गांव में हर शाम बन गई ‘रामायणमयी’-
गांव के धर्मप्रेमी गोवर्धन उपाध्याय, छतर सिंह (दांगी) पटेल, प्रह्लाद गिर गोस्वामी, शिवनारायण वर्मा और भोजराज पाटीदार ने सावन के पहले दिन से ही अपने घरों में सामूहिक रामायण पाठ शुरू कर दिया है। हर शाम होते ही आस-पड़ोस के श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और राम नाम के अमृत में डूब जाते हैं।
इनका मानना है, कि चातुर्मास में किया गया रामायण पाठ विशेष फलदायी होता है। यही कारण है कि इन चार महीनों तक कई घरों में न केवल रामायण का पाठ किया जाएगा, बल्कि प्याज-लहसुन और अन्य तामसिक वस्तुओं का पूर्णतः त्याग कर दिया गया है।
रामायण पाठ से आते हैं मर्यादा, संयम और संस्कार-
महंत बद्रीदास महाराज का कहना है रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक मर्यादित पद्धति है। इसे घर में पढ़ने से वातावरण पवित्र होता है और बच्चों में भी नैतिकता का बीज पड़ता है। तुलसीदासजी द्वारा रचित इस पावन ग्रंथ को न केवल पढ़ा जा रहा है, बल्कि प्रत्येक चौपाई के साथ उसका सार्थक और सरल अर्थ भी परिवार के बड़े बुज़ुर्ग बच्चों को समझा रहे हैं।
दादी-दादा से पीढ़ियों को मिल रही रामायण की सीख-
गांव की द्रोपती बाई, अपने पोते-पोती को रामायण का सार समझाते हुए कहती हैं,
बेटा, राम सिर्फ राजा नहीं, वो एक विचार हैं। रामायण जीवन की हर चुनौती में सही निर्णय की राह दिखाती है।
वे तुलसीदास रचित दोहों के कठिन शब्दों को बड़ी सहजता से समझाकर बच्चों को प्रेरित करती हैं। उनके पोते ने बताया दादी और बड़े दादाजी के साथ बैठकर रामायण पढ़ना बहुत आनन्ददायक लगता है। हमें हर दोहे का अर्थ अच्छे से समझ में आता है और कई बार हम खुद भी दोहे याद कर लेते हैं।
मंदिरों में हो रही विशेष आराधना-
बेहरी के विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन संध्याओं का आयोजन हो रहा है। शिवालयों में सुबह-शाम आरती और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। छोटे बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक भक्ति भाव में लीन दिखाई दे रहे हैं।
रामायण पाठ के लाभ:
1. मन की शुद्धि और आत्मा की शांति
2. पारिवारिक एकता और सामूहिक आनंद
3. संस्कारों का संचार और जीवन मूल्यों की समझ
4. संवेदनशीलता और सेवा भावना में वृद्धि
5. धार्मिक वातावरण से नकारात्मकता का अंत