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    वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: एक कदम इंसाफ की ओर

    ByNews Desk

    Apr 14, 2025
    मोकर्रम खान
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    वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को भारत के राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है और इसे केंद्र सरकार के राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है।

    इस मुद्दे पर देश के मुसलमान बंटे हुए हैं। एक छोटा मुस्लिम समूह इसका समर्थन और प्रशंसा कर रहा है, लेकिन मुस्लिम राजनेताओं और धर्मगुरुओं का एक बड़ा गुट इसका कड़ा विरोध कर रहा है। उनका कहना है, कि यह अधिनियम तथाकथित हिन्दुत्ववादी तत्वों के लिए भानुमती का पिटारा खोल देगा, जो काफी समय से कई मस्जिदों और दरगाहों के नीचे मंदिर होने के दावे करते रहे हैं। यह कानून कई अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थलों और वक्फ संपत्तियों पर भी नए-नए विवादों को जन्म दे कर अदालती मुकदमों की बाढ़ ला देगा।

    यद्यपि इस संभावना से पूर्णत: इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है और अनधिकृत कब्जेदार मुख्य रूप से मुसलमान हैं। इस भू-माफिया में कई राजनेता, धर्मगुरु तथा प्रशासन की मिलीभगत से पलने वाले गुंडे शामिल हैं। उन्होंने वक्फ की कई बेशकीमती जमीनों को उद्योगपतियों और बड़े व्यापारियों को अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिया, जिन्होंने उन जमीनों पर कार्यालय, गगनचुंबी इमारतें, आलीशान होटल, रिसॉर्ट आदि बना लिए। ऐसा बहुत जगह हुआ।

    उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में ही वक्फ बोर्ड की आय लगभग चार करोड़ रुपये प्रति वर्ष है, जबकि यह 200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष तक हो सकती है, क्योंकि वर्तमान में 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियां अनधिकृत अतिक्रमण के अधीन हैं, जैसा कि मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया है। अब कई सवाल उठते हैं। यह भारी भरकम आय कहां जाती है, क्या इसे पात्र मुसलमानों पर खर्च किया जाता है या भ्रष्ट तत्वों द्वारा हड़प लिया जाता है।

    वक्फ संपत्तियों पर केवल गरीब, अनाथ, विधवाओं और अन्य जरूरतमंद मुसलमानों का ही अधिकार है। कुरान में कहा गया है कि “जो लोग यतीमो का माल खाते हैं, वे अपने पेट आग से भर रहे हैं और उन्हें दंडित किया जाएगा”। आश्चर्यजनक रूप से कुछ मुसलमान ईश्वर से डरे बिना वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं। नया कानून इस कुप्रथा पर अंकुश लगा सकता है।

    यह दुखद स्थिति है कि भ्रष्ट मुसलमानों के एक समूह ने कुछ राजनेताओं और नौकरशाहों की मदद से एक गिरोह बना लिया है। वे गरीब मुसलमानों का हक मार रहे हैं। उन्हें ईश्वर के आदेशों की परवाह नहीं है। यह वक्फ संशोधन अधिनियम माफिया के लिए ईश्वरीय प्रकोप साबित हो सकता है।

    ऐसा लगता है कि ईश्वर के आदेशों का पालन करने के लिए भी शासकीय दंड का भय आवश्यक है, क्योंकि तीन तलाक कानून लागू होने से पहले वे महिलाओं को खुलेआम अकारण तलाक दे रहे थे। अब तीन तलाक पुरानी बातें हो गई हैं। यहां तक ​​कि जायज तरीकों से तलाक देने के मामले भी मुश्किल से सामने आ रहे हैं।

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत-उल-उलेमा और कुछ अन्य गुट कह रहे हैं कि वे इस वक्फ कानून को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन जब कानून बन गया है तो मानने या न मानने का सवाल ही कहां है। अब यह देश के हर नागरिक के लिए बंधनकारी है। इन लोगों ने तीन तलाक कानून के खिलाफ भी खूब शोर मचाया था, लेकिन कानून का उल्लंघन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। अब कानूनी कार्रवाई के डर से काजियात वाले और अन्य धर्मगुरु तीन तलाक के मामलात से दूर रहते हैं।

    लेखक: मोकर्रम खान (वरिष्ठ पत्रकार)
    केंद्रीय मंत्री स्व. दलबीर सिंह के पूर्व निजी सचिव। 141/1, प्रोफेसर्स कॉलोनी,
    भोपाल, मोबाइल 90982 38945
    ट्विटर @MOKARRAMKHAN
    ईमेल: unsoldjournalism@gmail.com

    डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और इनका उद्देश्य केवल सूचनात्मक व विश्लेषणात्मक है। लेख में उल्लिखित जानकारी और राय का उद्देश्य किसी समुदाय, संस्था या व्यक्ति की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 से संबंधित सभी तथ्य सार्वजनिक स्रोतों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं। पाठकों से अपेक्षा की जाती है कि वे विषय की गहराई को समझते हुए स्वतंत्र सोच और विवेक का प्रयोग करें।