शिप्रा (राजेश बराना)। हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और उसके महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है। इस अवसर पर, क्षिप्रा नदी के शुद्धीकरण और उसके पुनरुद्धार की दिशा में विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है, खासकर आगामी सिंहस्थ कुम्भ 2028 को ध्यान में रखते हुए।
2016 के सिंहस्थ कुंभ में क्षिप्रा नदी की शुद्धता को लेकर कई चिंता थी। उस समय नर्मदा नदी का जल शिप्रा में प्रवाहित कर श्रद्धालुओं को स्नान करवाया गया था। वहीं, हाल ही में प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान के दौरान संगम घाट पर भीड़ के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा। इससे यह स्पष्ट है कि भविष्य के कुंभ आयोजन के लिए जल स्रोतों की उचित व्यवस्था और शुद्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
क्षिप्रा शुद्धीकरण अभियान की आवश्यकता-
देवास जिले में क्षिप्रा नदी की स्थिति उपेक्षित बनी हुई है। अतिक्रमण, जल प्रदूषण और अपशिष्ट प्रवाह ने इसकी पवित्रता को प्रभावित किया है। मां क्षिप्रा नदी बचाओ समिति ने अधिकारियों से आग्रह किया है, कि वे स्वयं आकर नदी की वास्तविक स्थिति का निरीक्षण करें और इसे पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम उठाएँ।
समाधान:
🔸 क्षिप्रा शुद्धीकरण अभियान-
◼️ नदी के दोनों किनारों पर अतिक्रमण हटाकर सीमांकन किया जाए।
◼️ जल शुद्धीकरण के लिए विशेष ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएं।
◼️ गाद निकालकर नदी को गहरा किया जाए, जिससे जल संग्रहण क्षमता बढ़े।
🔸 घाटों का निर्माण और सुधार-
◼️ देवास जिले में रामघाट की तर्ज़ पर क्षिप्रा घाटों का निर्माण किया जाए, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान की सुविधा मिल सके।
◼️ श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छता और सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किए जाएँ।
🔸 पौधारोपण और जल संरक्षण अभियान-
◼️ क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए, जिससे जल स्तर बना रहे।
◼️ नदी के उद्गम स्थल पर जल संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं लागू की जाएं।
🔸सामाजिक जागरूकता और सहभागिता-
◼️ जनता को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष यात्रा और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
◼️ धार्मिक, सामाजिक और पर्यावरण संगठनों को इस अभियान में सक्रिय रूप से जोड़ा जाए।
सिंहस्थ 2028 के सफल आयोजन के लिए क्षिप्रा नदी का शुद्धीकरण अनिवार्य है। यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाएं, तो यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि पर्यावरण संतुलन और स्थानीय समाज के लिए भी फायदेमंद होगा। प्रशासन, सामाजिक संगठन और आम जनता के सामूहिक प्रयासों से ही क्षिप्रा को पुनर्जीवित किया जा सकता है। विश्व जल दिवस के अवसर पर, हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की शपथ लेनी चाहिए।