– लाभ की उम्मीद में लगाई थी फसल, अब समझ नहीं आ रहा कैसे उतरेगा कर्ज का बोझ
बेहरी ( हीरालाल गोस्वामी)। खेती को लाभ का धंधा बनाने के जुमले वर्षोें से किसान सुनते आ रहे हैं, लेकिन लाभ तो दूर किसानों को लागत भी नहीं निकल पा रही है। लहसुन-प्याज के कमजोर होते भाव ने इस बार किसानों की आर्थिक रूप से कमर तोड़कर रख दी है। लहसुन से किसानों को बहुत उम्मीद थी, जो उचित भाव नहीं मिलने से टूट गई। हालात तो यह है भाव नहीं मिलने से किसान नदी-नालों में लहसुन बहा रहे हैं। बेहरी क्षेत्र में भी कुछ इसी प्रकार की स्थिति से किसान दो-चार हो रहे हैं।
क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान लहसुन-प्याज की खेती करते हैं और उन्हें इस फसल से अच्छे लाभ की उम्मीद बनी रहती है। कुछ साल पहले लहसुन के भाव आसमान में थे, तब से अधिक संख्या में किसान लहसुन की खेती करने लगे। फिलहाल तो भाव में कमी बनी हुई है और लागत भी नहीं निकल रही है। ऐसे में कई किसान इसी उम्मीद में लहसुन का संग्रह किए हुए हैं, कि आने वाले दिनों में जब भाव बढ़ेंगे तब बेच देंगे। इधर जाे संग्रह नहीं कर सकते, वे बाहर फेंक रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि महंगाई का दौर है, लेकिन किसानों को उसकी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा है। खेती लाभ का धंधा नहीं, बल्कि घाटे का सौदा हो रही है। किसान की समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं है। यही कारण है कि वह आर्थिक बोझ के नीचे दबाजा रहा है।
इतना होता है खर्च-
किसान को एक बीघा लहसुन-प्याज लगाने में 30 से 35 हजार रुपए के हिसाब से खर्च करना पड़ता है। इसके बाद उसे 60 क्विंटल प्याज और 16 क्विंटल लहसुन प्राप्त होती है। इसमें निंदाई-गुड़ाई, खाद, दवाई, बीज, बारदान, मजदूरी सहित अन्य खर्च होता है। वर्तमान में प्याज 100 रुपए से 1200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहे हैं। लहसुन 50 रुपए से 2000 रुपए क्विंटल में बिक रही है। जबकि किसानों ने इनका उत्पादन करने में अधिक खर्च किया है। किसानों ने बताया कि हम इंदौर में 40 कट्टे लहसुन बेचने के लिए ले गए थे। बेचने पर सिर्फ 2 हजार रुपए मिले, जबकि 1800 रुपए तो खर्च ही हो गए। लहसुन अधिक दिनों तक संग्रहित कर रख भी नहीं सकते।
लागत भी नहीं निकल रही-
कृषक एवं जनपद उपाध्यक्ष रामेश्वर गुर्जर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आज अन्नदाता की हालत बहुत खराब है। प्याज-लहसुन में लागत तक नहीं निकल पा रही है।किसानों का शोषण किया जा रहा है। कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और आने वाले दिनों में आंदोलन करेगी। कृषक केदार पाटीदार ने बताया कि हमने लहसुन-प्याज लगाए थे, लेकिन दोनों के ही भाव नहीं मिल रहे हैं। समझ नहीं आ रहा है कि कर्ज कैसे उतारेंगे। सरकार को किसानों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
Leave a Reply