धर्म-अध्यात्म

राजयोग मेडिटेशन से भटकाव और विकारों से रहित हो जाता है मन- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कालानी बाग सेंटर की बहनें जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी के सानिध्य में राजयोग मेडिटेशन शिविरों का निःशुल्क आयोजन कर शहर सहित जिलेभर में भाइयों व बहनों में योग व आध्यात्म का अलख जगा रही है।

कालानी बाग सेंटर में आयोजित किए गए राजयोग मेडिटेशन शिविर में प्रेमलता दीदी ने कहा, कि योग हमारे देश की संस्कृति का अभिन्न अंग है। आदि-अनादि काल से योग किया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को योग के माध्यम से भीतर से सशक्त किया था। योग याने जोड़, जैसे वियोग याने अलग हो जाना। वैसे ही योग याने जोड़ कनेक्शन होता है। उन्होंने कहा, कि मनुष्य का कनेक्शन इस संसार में अनेकों के साथ अनेकों स्तरों पर होता है। जब हमारा कनेक्शन, संबंध भौतिक वस्तुओं के साथ में होता है और व्यक्ति के जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं के साधन आने लगते हैं तो लोग यही कहते हैं, कि इसके जीवन में भौतिक योग है। योग से हमारा शरीर सुदृढ़ होकर के मन विकारों से रहित हो जाता है।

दीदी ने आगे कहा, कि राजयोग का आधार एवं विधि परमात्मा में एकाग्र होकर मन लगाना है। मेडिटेशन से जीवन में कई फायदे होते हैं, परंतु कैसे किया जाए उसकी यथार्थ विधि क्या है, कई लोगों को मालूम नहीं है। उन्होंने कहा, कि जब तक भाव नहीं है तब तक नहीं सीख पाओंगे। मेडिटेशन एक यात्रा है मन की, क्योंकि हम सब जानते हैं मन एक चंचल बंदर की तरह है। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर। यह एकाग्रचित नहीं रहता, इसलिए भटकता रहता है। राजयोग मेडिटेशन द्वारा मन शीतल हो जाता है, फिर वह भटकाव और विकारों से रहित हो जाता है।

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