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जेलर रोहिदास पिकले हुए सेवानिवृत्त, अन्य राज्यों से भी विदाई समारोह में पहुंचे लोग

– विदाई समारोह में लोगों का स्नेह देखकर बेटी हुई भावुक, कहा पापा हमारे लिए समय नहीं निकालते थे, आज हमें लगा कि उन्होंने हमारे लिए बहुत कमाया
बागली (हीरालाल गोस्वामी)। शासकीय सेवा में तबादला एवं सेवानिवृत्ति होना एक प्रक्रिया है। कर्मचारी-अधिकारी का तबादला समय-समय पर होता रहता है। नगर के विभिन्न विभागों में कई अधिकारी ऐसे आए, जिनकी विदाई गुमनामी में हुई। वे कब आए और कब गए किसी को खबर नहीं रही। कुछ अधिकारी ऐसे भी रहे, जो जनता के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ गए। इन्हीं अधिकारियों में शुमार हैं बागली जेल के जेलर रोहिदास पिकले। उनकी सेवानिवृत्ति पर नागरिकों ने उन्हें ऐतिहासिक विदाई दी।
श्री पिकले भोपाल के मूल निवासी हैं। उन्होंने जिन 13 जिलों में अपनी सेवा दी, उन स्थानाें पर उनके प्रशंसकों की संख्या अधिक है। उनके विदाई समारोह में बड़ी संख्या में अन्य जिलों से भी लोग पहुंचे। बागली में न्यायाधीश वर्ग और न्यायालयीन व्यवस्था से जुड़े कर्मचारी-अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग अभिभाषक संघ, पत्रकार समूह भी इस यादगार कार्यक्रम में उपस्थित रहा। विदाई समारोह में श्री पिकले का पूरा परिवार भी साथ था।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण चौधरी ने कहा, कि विदाई समारोह तो बहुत हुए, लेकिन यह विदाई समारोह अपने आप में ऐतिहासिक है। बड़ी संख्या में आमंत्रित सदस्यों की संख्या यह दर्शाती है, कि पिकलेजी का व्यवहार कितना मजबूत रहा है। अन्य जिले और यहां तक अन्य राज्यों से भी परिचित इस पावन बेला में शामिल हुए।
मंच पर सेवानिवृत्त श्री पिकले की पुत्री तेजस्विनी इतना अधिक सम्मान देखकर भावुक हो गई। उन्होंने कहा हम पापा पर नाराज होकर कहते थे, आप हमारे लिए समय नहीं निकालते हो, लेकिन यहां आकर लगा कि उन्होंने हमारे लिए कितना अधिक कमाया, जो इतने लोगों का प्यार हमें मिल रहा है।
इस अवसर पर जिला सत्र न्यायाधीश राजेंद्र बारपेटे ने कहा, कि जेलर की जिंदगी कैदियों से कम नहीं रहती। उनका सोशल रूप में मिलना-जुलना बहुत कम रहता है। अधिकतर समय उसी जेल परिसर में बीतता है, जिस जेल परिसर में कैदी रहते हैं। कैदियों की जिंदगी और जेलर की जिंदगी में बहुत कम अंतर होता है। कैदी कड़ी सुरक्षा में रहते हैं और जेलर उनकी सुरक्षा में अपनी नौकरी निभाते हैं। सभी कैदियों की जिम्मेदारी और जवाबदारी उनकी ही रहती है, इसलिए वह अन्य लोगों से मिलना-जुलना कम करते हैं। बाहर भी कम निकलना होता है। यह कठिन कार्य है, लेकिन अब सेवानिवृत्ति के बाद उनकी सामाजिक समरसता की दूसरी पारी शुरू होगी।
अभिभाषक संघ के अध्यक्ष महेंद्र पाटीदार ने कहा कि जेल भवन और वकीलों का चोली-दामन का साथ है। कई बार कैदियों के वकील पत्र भरने के लिए इस परिसर में आना होता है। ऐसे में जेलर का रुख बहुत कुछ निर्भर करता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्यप्रकाश गुप्ता ने कहा, कि जेल में जब भी वकील पत्र भरने आना होता तो जेलर सहज रूप से सहयोग करते और चाय भी पिलाते थे, जबकि ऐसा बहुत कम होता है।
पत्रकार बिरादरी से आए बाबू हनवाल, सुनील योगी, हीरालाल गोस्वामी एवं स्वयं संचालनकर्ता प्रवीण चौधरी जो अधिवक्ता भी है और पत्रकार भी, ने बताया कि सर्द मौसम होने के बावजूद इतने अधिक लोगाें का यहां आना निश्चित तौर पर साबित करता है कि श्री पिकले जनता के बीच कितने अधिक लोकप्रिय हैं। अब श्री पिकले का बागली से संबंध बन गया है। बागली क्षेत्रवासियों के सामाजिक कार्यों में उनकी अगवानी परिवार सहित रहेगी और उनके यहां मेजबानी भी परिवार सहित रहेगी।
मंचासीन डॉ. हेमंत पटेल ने कहा, कि पहली पारी में भले ही रोहिदास पीकले समय नहीं दे पाए हो, लेकिन दूसरी पारी में उनका समय हमें जरूर मिलेगा।
इस अवसर पर नवागत जेलर हेमंत नागर का भी स्वागत किया गया। उन्होंने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा, कि अभी तक विदाई समारोह का सुना था, लेकिन यह विदाई समारोह अपने आप में अनूठा है। इतनी संख्या में अलग-अलग वैचारिक धुरी के लोग एक जगह एकत्रित हुए हैं। इस कार्यक्रम में बागली एसडीओपी सृष्टि भार्गव भी उपस्थित रहे। अतिथियों का आभार नवागत जेलर श्री नागर ने माना।

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