– कुछ दिनों के लिए छोड़ देते प्रकृति की गोद में
– प्याज को सुरक्षित रखने के लिए किसान कर रहे गोडाउन की मांग
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। वैसे तो किसानों की सभी फसल प्रकृति के भरोसे रहकर कई दिनों तक प्रकृति की गोद में ही रहती है, लेकिन प्याज की फसल ऐसी है, जिसे प्रकृति की गोद अर्थात खेत की मिट्टी में ही पकने के लिए कुछ दिनों तक दबाकर रखा जाता है। इन दिनों कई खेतों में किसानों ने प्याज की फसल को इसी तरह से पकने के लिए मिट्टी में दबाकर रखा हुआ है।
वर्तमान में अक्टूबर माह में जिन किसानों ने प्याज कण लगाया था और नवंबर माह में खेतों में रोपित किया था। वह फसल पककर तैयार है, लेकिन प्याज की कच्ची फसल बाहर निकालने से वह कुछ समय बाद खराब हो जाती है। इसके लिए क्षेत्रीय किसान आज भी देसी पद्धति का इस्तेमाल कर रहे हैं। मजदूरों द्वारा प्याज खेतों से उखाड़ने के बाद उसके पत्तों सहित उसे 3 बाय 5 या उससे भी छोटे-बड़े 1 फीट गहरे गड्ढे में दाब कर 15 से 20 दिन तक के लिए भट्टी लगाई जा रही है। जब किसानों को एहसास हो जाता है, कि पत्ते पूरी तरह सूख चुके हैं तब उन्हें निकालकर उचित रूप से सिलाई कटाई कर बोरों में भरा जाता है। इसके बाद भी किसानों की परेशानी कम नहीं होती। मंडी ले जाने के पहले फिर एक बार प्याज की छटाई होती है। उचित कीमत नहीं मिलने पर जितने माह तक प्याज की देखभाल की जाती है, इतने समय तक बार-बार प्रतिमाह प्याज की छंटाई करना आवश्यक होता है। साथ ही इन्हें खुली हवा में रखना जरूरी है। वर्तमान में जहां एक ओर सभी किसान रबी एवं खरीफ फसलों से निवृत हो चुके हैं। प्याज फसल वाले किसान अभी भी खेतों में ही डेरा डाले हुए हैं। जब तक उनकी फसल बोरों में भरकर घर तक नहीं पहुंच जाती या मंडी तक नहीं पहुंच जाती उनकी चिंता बनी हुई है। कभी-कभी ओलावृष्टि अतिवृष्टि के प्रकोप से किसानों की मेहनत पानी में मिल जाती है।
भारतीय किसान संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष गोवर्धन पाटीदार ने बताया, कि उद्यानिकी विभाग द्वारा प्याज गोडाउन की जो योजना लाई गई थी, वह कागजों पर सीमित हो गई। अब स्थिति यह है, कि प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर एक प्याज भंडारगृह की आवश्यकता है, तब जाकर किसानों को इस चिंता से मुक्ति मिल पाएगी।
क्षेत्र के किसान केदार पाटीदार बताते हैं, कि लगभग 20 प्रतिशत किसान प्याज फसल लगाते हैं। कुछ किसान बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन करते हैं, लेकिन रखरखाव नहीं होने से हर वर्ष उन्हें बेहतर किस्म का प्याज उत्पादन करने के बाद भी उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
वर्ष 2018 में शासन द्वारा प्याज गोडाउन किसानों के लिए बनाने की योजना अनुदान स्वरूप शुरू की गई थी। उसके लिए बेहरी क्षेत्र के 30 से अधिक किसानों ने उद्यानिकी विभाग में आवेदन दे रखे हैं, लेकिन एक भी आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ। इसके चलते प्याज गोडाउन योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
इस संबंध में उद्यानिकी विभाग के क्षेत्रीय प्रभारी राकेश सोलंकी ने बताया कि कुछ स्थानों पर प्याज गोडाउन की स्वीकृति हुई है।
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