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नागपुर. अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए रूपा मुक्ते की ओर से हाई कोर्ट में दीवानी याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाई कोर्ट की ओर से 28 मार्च 2014 को 6 सप्ताह के भीतर अवैध निर्माण के खिलाफ पूरी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. इन आदेशों का पालन नहीं किए जाने का हवाला देते हुए अब याचिकाकर्ता की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और भरत देशपांडे ने मनपा आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस.एन. महाजन ने पैरवी की.
मनपा ने किया था आश्वस्त
उल्लेखनीय है कि 9 वर्ष पूर्व सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से ही अदालत को आश्वस्त किया गया था कि बिल्डिंग में जो भी अवैध हिस्सा है. उसे 6 सप्ताह के भीतर हटाने की पूरी कार्रवाई की जाएगी. मनपा की ओर से दिए गए आश्वासन के बाद अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी थी. इसके उपरांत बाधितों की ओर से राज्य सरकार के पास अर्जी दायर की गई थी.
बाधितों की ओर से पैरवी कर रहे वकील का मानना था कि मनपा को जो नक्शा प्रेषित किया गया उसे बिल्डिंग उप विधि के आधार पर पुन: परखने के आदेश राज्य सरकार की ओर से दिए गए थे. बाधितों का मानना था कि पुराना निर्माण कार्य वास्तविक रूप से नए निर्माणकार्य से काफी बड़ा था. किंतु सरकार की ओर से दिए गए निर्देशों को दरकिनार कर मनपा ने नक्शा ठुकरा दिया.
पहले भी अधूरी कार्रवाई
हाई कोर्ट की ओर से 28 मार्च 2014 को दिए गए आदेश में मनपा के हवाले से बताया गया था कि अवैध निर्माण को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. किंतु याचिकाकर्ता के वकील का मानना था कि पहले भी मनपा की ओर से अवैध निर्माणकार्य हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी किंतु उसे अधूरा ही छोड़ दिया गया था.
अदालत का ध्यानाकर्षित करते हुए बताया गया था कि 5 फरवरी 2003 को एक फौजदारी याचिका पर हाई कोर्ट की ओर से आदेश दिया गया था जिसमें लगभग 11 वर्ष से अधिक काल से आदेश का पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई थी. मध्यस्थों का मानना था कि इसी इमारत में 4 लोगों का व्यवसाय चल रहा है. मनपा उन्हें भी निकालने का प्रयास कर रही है. उल्लेखनीय है कि 28 मार्च 2014 के बाद हुई सुनवाई में अदालत ने मनपा को अगले आदेश तक कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिए थे.
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