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छत्रपति संभाजीनगर : जनता की मूलभूत समस्याओं को हल करने को अनदेखी करने के साथ ही देश को विकास के पथ पर लाने के लिए सरकार ने जरुरी कदम उठाने के बजाए शहरों के नाम बदलने की राजनीत कर सांप्रदायिकता (Communalism) को बढ़ावा दिया जा रहा है। औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नामकरण करते समय संविधान द्वारा तय की गई गाइड लाइन्स को अनदेखी कर नामकरण किया गया। ऐसे गंभीर मुद्दों पर देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) के पास सब मुद्दे हस्तक्षेप आवेदन शहर के बैरिस्टर उमर कमाल फारुकी (Barrister Umar Kamal Farooqui) ने किया है।
बैरिस्टर उमर फारुकी ने आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने नामकरण को लेकर संविधान में तय की गई 5 गाइड लाइन्स में से चार गाइड लाइन्स को दरकिनार कर ऐतिहासिक औरंगाबाद शहर का नामकरण करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से देश में सांप्रदायिकता माहौल को बढ़ावा देकर दो समुदाय में दुरियां निर्माण करने का काम केंद्र और कुछ राज्य सरकारे कर रही है। ऐसे में नाम बदलने की नीति में सूमोटो हस्तक्षेप करने की विनंती बैरिस्टर उमर फारुकी ने देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पास करने की जानकारी दी।
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कानून और व्यवस्था बिगड़ने के आसार
चीफ जस्टिस से सुमोटो हस्तक्षेप करने के लिए किए गए आवेदन में बैरिस्टर उमर फारुकी ने बताया कि ऐसे नीतियों से देश में अशांतता निर्माण होकर कानून और व्यवस्था बिगाड़ का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी नीतियों से अपने देश की धर्मनिरपेक्षता पर आंछ आने के साथ ही सार्वजनिक निधि का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में बैस्टिर उमर फारुकी ने बताया कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 1953 में जारी किए और उस पर 2005 में सुधारित किए मार्गदर्शक तत्वों के विरोध में नाम बदलने का निर्णय केंद्र और राज्य सरकारे ले रही है। उमर फारुकी ने चीफ जस्टिस के समक्ष सुमोटो हस्तक्षेप को लेकर किए आवेदन में हाल ही में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा शहरों के नाम बदलने को लेकर दायर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश का जिक्र देते हुए बताया कि हम भूतकाल में कैदी नहीं रह सकते। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सांप्रदायिक सौहार्द का रक्षण होने की आस मिली है। भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है। कानून के छात्र बनकर हाल ही में विदेश में शिक्षा हासिल कर हिंदुस्थान लौटा हूं। ऐसे में हमारा देश भूतकाल में जी रहा है, यह देखकर मुझे काफी आश्चर्य होने की बात बैरिस्टर उमर फारुकी ने कहीं।
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