Indo-Bhutan सीमा पर गांव के लोगों को हाथियों से बचाती है सौर बाड़

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Solar fence

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पब गुआबारी गांव के निवासी भीम बहादुर छेत्री ने पीटीआई-को बताया, ‘‘हाथी पहले काफी तबाही मचाते थे, हमारे खेतों और खाद्य भंडार को नष्ट कर देते थे। भोजन की तलाश में भूटान से आने वाले इन हाथियों द्वारा सालाना लगभग छह से सात लोगों को कुचल कर मार दिया जाता था। जब हाथी गांवों में आते थे तो हमारी रातों की नींद उड़ जाती थी।’’

भारत-भूटान सीमा पर 18 किलोमीटर लंबी सौर बाड़ असम के बक्सा जिले के 11 गांवों में रहने वाले 10,000 से अधिक लोगों को भूटान से आने वाले जंगली हाथियों से बचाती है।
बोर्नडी नदी के भारतीय तट पर लगायी गई बाड़ अंतरराष्ट्रीय सीमा को चिह्नित करती है। इससे जंगली हाथियों के भटक कर गांवों में आने और उनके हमले से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आयी है।
पब गुआबारी गांव के निवासी भीम बहादुर छेत्री ने पीटीआई-को बताया, ‘‘हाथी पहले काफी तबाही मचाते थे, हमारे खेतों और खाद्य भंडार को नष्ट कर देते थे। भोजन की तलाश में भूटान से आने वाले इन हाथियों द्वारा सालाना लगभग छह से सात लोगों को कुचल कर मार दिया जाता था। जब हाथी गांवों में आते थे तो हमारी रातों की नींद उड़ जाती थी।’’

यह गंभीर चिंता का विषय बन गया था और संरक्षणवादियों, वन्यजीव विशेषज्ञों और प्रशासन ने काफी विचार-विमर्श के बाद एक सौर बाड़ लगाने का फैसला किया। जब हाथी उक्त बाड़ के सम्पर्क में आते थे तो उन्हें बिजली का हल्का झटका लगता है लेकिन इससे उस हाथी की मौत नहीं होती।
फरवरी 2021 में एलिफेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया के वित्तपोषण से जैव-विविधता संगठन अरण्यक द्वारा सौर बाड़ का निर्माण किया गया था।

वन विभाग ने पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया और ग्रामीण भी परियोजना में हितधारक हैं।
एक वन अधिकारी ने कहा कि हाथियों के प्रवास में कमी की वजह हाथियों के भोजन के लिए भटकर मानव बस्तियों में आने का प्रमुख कारण है।
अरण्यक के वरिष्ठ पदाधिकारी अंजन बरुआ ने कहा कि ग्रामीण पहले हाथियों को दूर रखने के लिए बिजली की बाड़ लगाते थे, लेकिन इनसे न केवल हाथियों बल्कि क्षेत्र में मनुष्यों और उनके पशुओं के जीवन को भी गंभीर खतरा होता था।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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