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- बाघ गांवों में न आए इसलिए वन विभाग द्वारा उपायों को तलाशने का काम किया जा रहा है.
- जंगलों को फेंसिंग करना, जंगल व गांव के बीच गड्ढ़े तैयार करने पर भी विचार हो रहा है.
- झटका मशीनों से घटनाएं रोकने में कितनी सफलता मिल सकती है इस पर भी चर्चा शुरू है.
चंद्रपुर. जिले में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके कारण यहां मानव-वन्यजीव संघर्ष भी काफी बढ़ गया है. इस पर उपाय के रूप में राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि जिले के 30 बाघों को राज्य के अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा. सावली में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ की तर्ज पर यहां से भी बाघों का स्थानांतरण होगा. बाघों के हमले में मरने वालों को मुआवजा दिया जा रहा है, परंतु जीवन का मूल्य पैसों से नहीं आंका जा सकता है. इसलिए मानव और वन्यजीव हमलों पर अंकुश लगाने के लिए कई कारगर उपाय वन विभाग द्वारा किए जा रहे हैं.
सह्याद्री, संभाजीनगर, मेलघाट ले जाने की प्लानिंग
मुनगंटीवार ने बताया कि जिले से बाघों के स्थानांतरण के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी. जिसे मंजूर कर लिया गया है. जिसके चलते प्रायोगिक तौर पर पहले चरण में जिले के विशेषकर ब्रम्हपुरी तहसील के 5 बाघों को नवेगांव नागझिरा में स्थानांतरित किया जाएगा. यह प्रयोग सफल होने के बाद दूसरे चरण में 25 बाघों को सह्याद्री, संभाजीनगर, मेलघाट के जंगलों में स्थानांतरण करने की योजना है. मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है. देखने में आया कि 80 प्रश मौतें जंगल में ही होती हैं.
RFO से अनुमति लेकर मार सकते हैं जंगली सूअर
वन मंत्री ने कहा कि सबसे बड़ा निर्णय लिया गया है कि पहले फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जंगली सूअरों को मारने के लिए काफी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता था, लेकिन आरएफओ से अनुमति लेकर किसान फसल नष्ट करने वाले जंगली सूअर को मार सकते हैं. इसी तरह किसानों को नुकसान भरपाई में बढ़ोतरी करने के साथ ही यह मिलने में देरी होने पर 10 प्रश ब्याज देने पर विचार किया जा रहा है. यदि जंगली जानवर से फसल का नुकसान होता है, तो सरकार फसल के लागत के अनुसार मुआवजा देगी.
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