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गड़चिरोली. विगत 2 वर्षों से बाघ तथा तेंदुए के हमलों से खासकर देसाईगंज, आरमोरी व गड़चिरोली, चामोर्शी तहसील के वन क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों में दहशत का वातावरण निर्माण हो गया है. महुआ फूल तथा तेंदुपत्ता के सीजन में काम कैसे करें, यह सवाल निर्माण हो गया है. आरमोरी तहसील के पोर्ला, किटाली, वडधा, बोरी तथा गड़चिरोली तहसील के नवरगांव, आंबेटोला, आंबेशिवणी, अमिर्झा, कुराडी, महादवाडी इसके साथ अनेक गांव वनों से घिरे है. इस परिसर में अनेक नागरिकों को बाघ तथा तेंदुए के दर्शन हुए हैं.
सैकड़ों मवेशियों को बनाया निवाला
जिले की अनेक तहसीलें वन क्षेत्रों से घिरी हुई है. उक्त क्षेत्र वन्यप्राणियों के लिए नंदनवन साबित हो रहा है. इन जंगलों में विगत 2 वर्षों से बाघ, तेंदुए की संख्या काफी बढ़ गई है. इन हिंसक वन्यप्राणियों का विचरण अब छिपा नहीं है. अब तक गड़चिरोली व वडसा वनविभाग अंतर्गत आने वाले देसाईगंज, आरमोरी व गड़चिरोली, चामोर्शी इन तहसीलों में नरभक्षी बाघ ने उत्पात मचाया है. सैकडों मवेशियों को निवाला बनाया है. वहीं 2 दर्जन से अधिक नागरिकों को भी मौत के घाट उतारा है जिससे वनव्याप्त ग्रामीण अंचल के नागरिकों में दहशत का वातावरण निर्माण हो गया है. किंतु ऐसी स्थिति में भी इस क्षेत्र के नागरिक अपनी दिनचर्या चला रहे हैं.
लोगों को सता रही जीवनयापन की चिंता
आगामी कुछ दिनों में करोड़ों का राजस्व दिलाने वाला तेंदुपत्ता व महुआ फूल सीजन शुरू होने वाला है. यह सीजन प्रत्यक्ष जंगल से संबंधित है. अनेक परिवार इस सीजन पर ही अपने परिवार का जीवनयापन करते आए हैं. किंतु अब स्थिति वैसी अनुकूल नहीं होने की वास्ताविकता है. जिले के अनेक गांवों में बाघ व तेंदुए की दहशत है. इन दोनों सीजन से यहां के नागरिकों को वंचित रहने की नौबत तो नहीं आएगी, ऐसा भय व्यक्त किया जा रहा है.
वनविभाग के प्रति रोष कायम
इससे पूर्व वन्य प्राणियों के हमलों में किसानों के मवेशी मारे गए हैं. कई लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों द्वारा वनविभाग से वन्यप्राणियों का बंदोबस्त करने की मांग निरंतर हो रही है. किंतु वनविभाग प्रशासन इसमें विफल साबित हो रहा है. इससे लोगों में प्रशासन के प्रति रोष है.
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