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आमगांव. आमगांव नगर परिषद या नगर पंचायत का मुद्दा लगभग 6 वर्ष से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है. इस मुद्दे का निराकरण करने में राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ आमगांव नगर परिषद में शामिल आमगांव, बनगांव, किडंगीपार, माल्ही, पदमपुर, कुंभारटोली, बिरसी, रिसामा इन 8 ग्रामों के नागरिकों ने गांधी चौक व तहसील कार्यालय परिसर में सिर मुंडन कराकर विरोध जताया. इस मामले में न्यायालय में अपना पक्ष रख जल्द से जल्द हल करवाने के लिए राज्य सरकार से मांग करने संबंधी निवेदन भी तहसीलदार को सौंपा गया.
प्रतिनिधि मंडल में समिति के यशवंत मानकर, रवि क्षीरसागर, संजय बहेकार, उत्तम नंदेश्वर, जयप्रकाश शिवणकर, मुन्ना गवली, प्रभा उपराडे, जिप सदस्य छबु उके, चंदन बावने, बाला ठाकुर, उमेश चतुर्वेदी, राजीव फुंडे, बबलू मिश्रा, रजनीश देशमुख, सुनंदा येरणे, विक्की बावने, रामदास गायधने सहित अन्य कार्यकर्ताओं का समावेश था. उल्लेखनीय है कि 8 वर्ष पूर्व आमगांव में नगर पंचायत की स्थापना की गई थी. जिसके खिलाफ कुछ नागरिकों ने विरोध व्यक्त करते हुए शासन से आमगांव व आसपास के ग्रामों को मिलाकर नगर परिषद बनाए जाने की मांग की थी.
उक्त मांग की जांच पड़ताल के बाद राज्य सरकार ने आमगांव सहित 8 ग्रामों को मिलाकर आमगांव नगर परिषद के गठन की अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना के खिलाफ फिर कुछ लोग कोर्ट में गए व आमगांव को नगर पंचायत का दर्जा देने व अन्य ग्रामों को पूर्ववत ग्राम पंचायत के स्वरूप में ही रखने की मांग की. जिसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार की नगरी परिषद गठन संबंधी अधिसूचना को रद्द कर पूर्व स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए. इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर अभी फैसला आना बाकी है.
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