गाय को पहनाए सोने के सिंग और पैरों में चांदी के जेवर, देवास के कबीर आश्रम में हुआ अनूठा आयोजन

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  • गोमाता ऐसी सुरभि है, जिसमें सारा ब्रह्मांड समाया हुआ है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

देवास। गोमाता में संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। गोमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना गया है और इसे ध्यान ेमें रखते हुए देवास के कबीर आश्रम में अनूठा आयोजन हुआ। यहां गोमाता को सोने के सिंग और पैरों में चांदी के जेवर पहनाए गए। इस अनूठे आयोजन के साक्षी बने देशभर से आए अनुयायी। इस आयोजन के साथ ही 13 दिवसीय बसंत महोत्सव का भी समापन हुआ।

सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली प्रताप नगर में मकर संक्रांति से चल रहे 13 दिवसीय बसंत महोत्सव के समापन अवसर पर सद्गुरु मंगल नाम साहेब के सानिध्य में गोपालपुरा के ओघड़ बाबा मोहनदास के हाथों गोमाता गो सुरभि को सोने के सिंग व पांव में चांदी के जेवर पहनाए गए। सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने गुरुवाणी पाठ, तत्व बोध चर्चा में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि गोमाता गो सुरभि एक ऐसी सुरभि है, जिसमें सारा ब्रह्मांड समाया हुआ है। गाय का गोबर है, वह काफी ऊर्जावान होता है। उसको धरती जब प्राप्त करती है तो एक दाने के हजार दाने हो जाते हैं। धरती उपजाऊ होती है और इसका 10 साल तक असर रहता है। उन्होंने कहा कि गोमूत्र को अमृत कहा गया है। गो मूत्र सारे रोगों का नाश करने वाला है, इसलिए कबीर साहब ने कहा है कि गो माता योग को साधने वाली है। भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण ने भी इसका पालन पोषण किया और आशीर्वाद लेकर इसकी सेवा में लगे रहे। भगवान शंकर ने भी मंदिर के सामने नंदी को बैठाकर गो माता के प्रति अपना भाव व्यक्त किया है कि इसके बिना संसार में कोई भी सुखी नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि गाय के पास सब शब्द रूप औषधि है। सत्य से धरती का जन्म हुआ है, शब्द से आकाश का जन्म हुआ है। संसार की सभी औषधि गाय के पास है। इसलिए ब्रह्मांड की सबसे ज्यादा सहनशक्ति भी उसके पास ही है। संसार की सारी संपदाओं को संभालने की सहनशक्ति भी गाय के पास है।

उन्होंने कहा कि जिन्हें भी गाय का आशीर्वाद मिला है, वह मानों अमृत को प्राप्त हो गए। इसके गोबर से धरती उपजाऊ होकर सबका भोजन उपलब्ध कराती है। धरती उपजाऊ हो जाती है, तो सब सुखी हो जाते हैं। पशु-पक्षी, भैंस, चींटी सबका भोजन गाय के पास ही है। गोमाता का कभी तिरस्कार व अनादर नहीं करना चाहिए। गोमाता में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। गोमाता लक्ष्मी का स्वरूप है। गुरुवाणी पाठ, तत्व बोध चर्चा, चौका विधान, संध्या आरती, निर्गुणी भजन आयोजन के बाद महाप्रसादी वितरित की गई, जिसमें सैकड़ों साध संगत अनुयायियों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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