श्वांस रूपी धन ही वास्तविक धन, बाकी सब व्यर्थ- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

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– सद्गुरु कबीर प्रार्थना स्थली पर बसंत महोत्सव का 11वां दिन

 

देवास। सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली पर बसंत महोत्सव पर्व के 11वें दिन मंगलवार को सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने गुरुवाणी पाठ, तत्व बौद्ध चर्चा में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सतगुरु और सतनाम की महिमा अपरंपार है। सत्यनाम का सुमिरण करके अब तक अनंत पथिक तर गए। नाम की कृपा से समुंद भी गाय की खुर के समान हो जाता है। अग्नि शीतल हो जाती है, जहर अमृत हो जाता है और बेरी मित्र हो जाता है। इसलिए सदगुरु कबीर साहेब ने श्वांस का सत्यनाम देकर एक ही नाम से सारे सांसारिक जगत के कल्पित नामों के जंजाल को खत्म कर दिया।

उन्होंने कहा कि जिस दिन गुरु आपको नाम दान देता है, उसी दिन गुरु आप को पढ़ लेता है कि आपकी विचारधारा क्या है। बिना पढ़े गुरु भी नाम नहीं देता। सदगुरु कबीर साहेब ने 42 पीढ़ी पढ़ी और धर्मदास जी ने लिख दिया, नहीं तो हमें मालूम ही नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि इस सांसारिक जीवन में सबने अपने-अपने हिसाब से नाम रखकर कल्पित नामों से बांध दिया है। इस कारण हमें वह नाम दिखाई नहीं देता जो सत्य नाम है। जिसके सुमिरण से मानव इस भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात रूपी धन से सिर्फ हम सुख-संपदा जुटा सकते हैं। अपने वैभव का बखान कर सकते हैं। जिसे हम धन कहते हैं, वह एक न एक दिन नष्ट हो जाता है। सत्यनाम रूपी धन ही वास्तविक धन है, बाकी सब धन नाशवान है, व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि हम अपनी सुख-सुविधाओं के लिए ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा से सिर्फ डिग्रियां ही हासिल हो सकती हैं, जो सिर्फ सांसारिक सुख-सुविधाओं तक सीमित है। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। वह सिर्फ पोथी के सिवाय कुछ भी नहीं है। अगर पढ़ाई करना ही है तो सुर गुरु की करो। सत्य नाम रूपी धन को सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात से नहीं खरीदा जा सकता। इसका तो सुमिरण ही करना पड़ेगा।

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