तिनके से सीख लेकर कभी ना करें अभिमान- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

Posted by

– संत का तिरस्कार व बेईमानी से कमाया हुआ धन परिवार को नष्ट कर देता है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। नीचे पड़ा तिनका अगर आंख में उड़कर लग जाए, तो रास्ता नहीं दिखता है। बहुत पीड़ा होती है, दर्द होता है। जब तक नहीं निकाला जाता तब तक आंखों में खटकता ही रहता है। आंख में घाव कर देता है। कई लोग तो इसके घाव से अंधे तक हो जाते हैं। तिनके से यह शिक्षा मिलती है, कि दिखने में तिनका बहुत छोटा है, लेकिन अगर उड़कर आंख में गिर जाए तो आदमी को तड़फा देता है, इसलिए कभी अभिमान नहीं करना चाहिए कि मैं बड़ा हूं, इसलिए तिनका भी निंदनीय नहीं है। इस पर बैठकर भी नाव को पार किया जा सकता है। यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने कबीर प्रार्थना स्थली प्रताप नगर में 13 दिवसीय बसंत महोत्सव के 10वें दिन सोमवार को तत्वबोध चर्चा, गुरुवाणी पाठ में प्रकट किए। उन्होंने कहा कि मानव का वास्तविक स्वरूप उसके कर्मों पर आधारित होता है। जीव की उम्र व श्वांस के ऊपर कपड़े चमड़े का फेर है। इसमें हम अच्छा भी करते हैं और बुरा भी। संत से लड़ाई करना, तिरस्कार करना, झूठ-कपट कर धन कमाना और उससे परिवार चलाना भी परिवार को नष्ट कर देता है। प्रतिदिन गुरु-शिष्य संवाद, गुरुवाणी पाठ तत्व चर्चा के बाद साध संगत द्वारा संध्या आरती की जा रही है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सदगुरु कबीर के अनुयायी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *