देवास। जीवन का रहस्य बड़ा सीधा एवं सहज है, जिसे ज्यादा समझाने और समझने की आवश्यकता नहीं है। जो भी पैदा हुआ है, उसको मरना ही है जो निश्चित है, कटु सत्य है। फिर भी मनुष्य जीने की लालसा में सुख-सुविधाओं में उलझकर भटकता रहता है। घर-बंगले बनाने में लगा रहता है। पद और प्रतिष्ठा के चक्कर में उलझा रहता है। जैसे सदा-सदा के लिए यही रहना है। जब तक मानव जीवन को समझता है, तब तक जाने की तैयारी हो जाती है, इसलिए समय से पूर्व जागना होगा।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने 26 जनवरी तक कबीर प्रार्थना स्थली प्रताप नगर में आयोजित किए जा रहे बसंत महोत्सव के अवसर पर शनिवार को आठवें दिन प्रकट किए। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी का प्रत्येक मानव ईमानदारी के साथ निर्वहन करें। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने विवाह जैसे पवित्र बंधन को भी कलंकित कर रखा है। ऐसे लोग बंधन में बंध तो जाते हैं, लेकिन बच्चे होने के बाद थोड़े से मनमुटाव के चक्कर में अलग हो जाते हैं। अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना बड़ा पाप है, इसलिए प्रत्येक मानव को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सनातन धर्म का पालन करते हुए जीवन यापन करना चाहिए।
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