संघर्ष और शौर्य की गाथा जय सोमनाथ का मंचन

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सरस्वती विद्या मंदिर के 800 से अधिक विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति दी

देवास। जय सोमनाथ के इतिहास के मंचन द्वारा सरस्वती विद्या मंदिर (सीबीएसई) के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने इतिहास रच दिया। मुखर्जी नगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर के उत्सवाचरण कार्यक्रम में विद्यालय के 800 से अधिक विद्यार्थियों ने जय सोमनाथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति दी। 5 हजार से अधिक दर्शकों के बीच सौराष्ट्र के तलवार रास, गरबा, फागोत्सव और आध्यात्मिकता के बीच सोमनाथ मंदिर पर हुए विभिन्न आक्रमणों और उसके लिए बलिदान हुए जनसामान्य और राजाओं की अमर गाथा का मंचन बहुत ही प्रभावी ढंग से विद्यार्थियों द्वारा किया गया।

सौराष्ट्र प्रशस्ति, तलवार रास, चंद्रदेव द्वारा सोमनाथ की स्थापना, हम्मीर गोविल के रक्ताभिषेक, नरसी मेहता की भक्ति, देवायत बोदर और अहिराणी के अपने पुत्र के बलिदान, लोहकोट समर्पण, घोघाबापा के साका, धर्मगंजदेव के संघर्ष और भीमदेव-गजनी के बीच युद्ध के विभिन्न प्रसंगों की दृश्य-श्रव्य प्रस्तुति अकल्पनीय व अद्भुत थी। पांच बड़े युद्धों और पांच बड़े नृत्यों ने दर्शकों को पूरे समय बांधे रखा। कार्यक्रम के अंत में भगवान सोमनाथ की आरती ने वातावरण को रोमांचित कर दिया।

हिन्दू जाति के शौर्य, समर्पण, संघर्ष के साथ ही सोमनाथ की रक्षा के लिए सभी वर्गों के बलिदान के साथ ही सामाजिक समरसता के संदेश से युक्त इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में सौराष्ट्र की संस्कृति के मंचीय चित्रण को देख सभी अभिभूत हो गए।

पूरे कार्यक्रम की रचना, पटकथा, लेखन और निर्देशन विद्यालय के आचार्य-दीदियों ने किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मालवा के संगठन मंत्री अखिलेश मिश्रा तथा विद्यालय समिति के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर मंचस्थ थे। परिचय प्राचार्य राजेश त्रिवेदी ने दिया। भूमिका उपाध्यक्ष जयशंकर शर्मा और आभार विक्रांत गिरि ने व्यक्त किया। जानकारी सचिव गुरुचरण वर्मा ने दी।

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