देवास। भगवान की कृपा से हम श्रीमद् भागवत कथा में आकर बैठे हैं। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने से कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। जब हमारे पुण्य का उदय होता है, तब भागवत कथा श्रवण करने का अवसर मिलता है। भागवत अर्थात भ से भक्ति ग से ज्ञान व से वैराग्यता त से तपस्या। इन चार शब्दों को समझना पड़ता है। जो भगवान की लीलाओं को समझ जाता है उसे परमात्मा मिल जाता है।
यह विचार मोती मोती बंगला प्रताप गार्डन में 19 जनवरी तक आयोजित की गई जा रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर व्यासपीठ से अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु आचार्य पं. जितेंद्र महाराज ने व्यक्त किए। कथा के पूर्व पशुपतिनाथ मंदिर से बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा निकाली गई। प्रमुख मार्गों से होती हुई शोभायात्रा कथा स्थल प्रताप गार्डन पहुंची।
गुरु बिना कल्याण नहीं होगा-
उन्होंने आगे कहा कि हम रोज आरती करते हैं विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा। पहले संत की सेवा। भगवान कब मिलता है। प्रथम भक्ति संतन कर संग, पहले संत का संग हो। दूसरी भक्ति कथा का संग। जीवन में पहले गुरु बनाना चाहिए। जिसने गुरु नहीं बनाया उसका कल्याण नहीं होगा। उन्होंने कहा, कि कानों की शोभा कुंडल से नहीं होती है। जो कथा नहीं सुनता, उसके कान नागों के बिल के समान होते हैं। हम मंदिर जाते हैं, लेकिन संगीत के ज्ञान से कोई ज्ञानी नहीं होता। मंदिर में जाने से परमात्मा नहीं मिलता और पत्थर को इसलिए पूजते हैं क्योंकि पूजने के लायक इंसान नहीं मिलता।
भगवान पर विश्वास होना चाहिए-
उन्होंने कहा, कि भगवान के ऊपर हमें भी विश्वास होना चाहिए। अगर विश्वास है भगवान मिलता है। तुम दुनिया को रिझाने में लगे हो इसलिए तुम्हें परमात्मा नहीं मिलता। ज्ञान गंगा का कोई पार नहीं है। परमात्मा ने मात्र दो सांस दी है। एक पहली सांस और एक आखरी सांस। अब कौन सी सांस चल रही है अंतिम वाली अंतिम वाली चल रही। अंतिम सांस कब बंद हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए प्रेम करना चाहिए मेरे ठाकुरजी से।
हम दुनिया के प्रपंच में पड़े हैं-
उन्होंने कहा, कि हम दुनिया के प्रपंच में पड़े हुए पाखंड में पड़े हुए, मोह माया के चक्कर में पड़े हैं। यह मेरा यह तेरा कोई साथ नहीं देगा। जब विपत्ति आती है तो कोई साथ नहीं देता, पर मेरा ठाकुर साथ देता है। अगर संसार का परित्याग कर ठाकुरजी के चरणों में चले गए तो फिर बार-बार के जीवन-मरण से छुटकारा मिल जाता है। आयोजक मंडल के विनोदिनी रमेश व्यास एवं अतिथियों ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक होगी।
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