- गाय को खिलाया चारा, छोड़ और गुड़, दान कर लिया पुण्य लाभ
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। क्षेत्र में मकर संक्रांति का पर्व परंपरागत उत्साह के साथ मनाया गया। दान का इस दिन विशेष महत्व होता है, इसलिए लोगों ने दान भी बहुत किया। नर्मदा नदी में पवित्र स्नान कर पुण्य लाभ लिया। सुबह से लेकर शाम तक मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा।
जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के मध्य बेहरी गांव में 1 दर्जन से अधिक परिवार में वृद्ध एवं जवानों की मौत हो जाने से भारतीय संस्कृति में ग्रामीण परिवेश में गमजदा परिवार में मेहमानों का आगमन मकर सक्रांति पर आवश्यक रहता है। परंपरा अनुसार गमजदा परिवार में बहन-बेटी आकर ही खिचड़ी एवं तिल-गुड़ चक्की बनाती है, जिसे पूरा परिवार प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। इसी परंपरा के चलते क्षेत्र में इस वर्ष अत्यधिक चहल-पहल देखी गई, दूसरा कारण यह है कि जिन लड़कियों की शादी होती है वह आरंभ की संक्रांति पीहर में जाकर मनाती है और 16 श्रृंगार की सामग्री सुहागिन सहेलियों को सुहाग की निशानी वितरित करती है। मान्यता अनुसार ऐसा करने से उनका सुहाग सुरक्षित रहता है। कुंवारी लड़कियां भी एक-दूसरे को श्रृंगार सामग्री गिफ्ट करती है।
बेहरी निवासी भूरी बागवान, ममता व सुनीता ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई चूड़ी यहां की बहू-बेटी एवं लड़कियों के माध्यम से दूर-दूर तक संक्रांति एवं राखी पर्व पर बिक जाती है। कुमकुम, मेहंदी, टीकी, बालों में लगाने की क्लिप आदि देने-लेने का प्रचलन अभी भी गांव में चलता है। संक्रांति पर अनाज देने की गांव में वर्षों पुरानी जारी है। किसान परिवार के लोग इस दिन दिल खोलकर दान करते हैं। इसी प्रकार क्षेत्र में बच्चे-नवयुवक में पतंगबाजी, गुल्ली-डंडे खेलने का प्रचलन देखा गया।
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