पितृ यज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपनी एक बुराई छोड़कर एक अच्छाई ग्रहण की
देवास। गायत्री शक्तिपीठ साकेत नगर एवं गायत्री प्रज्ञापीठ विजयनगर पर पितृ पक्ष के अवसर पर अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति व सद्गति के निमित्त तर्पण, पिंडदान एवं पितृ यज्ञ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुषों ने भाग लिया।
गायत्री शक्तिपीठ के मीडिया प्रभारी विक्रमसिंह चौधरी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में यह तथ्य घोषित किया गया है कि मृत्यु के साथ जीवन समाप्त नहीं होता, अनन्त जीवन श्रंखला की एक कड़ी मृत्यु भी है, इसलिए संस्कारों के क्रम में जीव की उस स्थिति को भी बांधा गया है, जब वह एक जन्म पूरा करके अगले जन्म की ओर उन्मुख होता है तो कामना की जाती है कि सम्बंधित जीवात्मा का अगला जीवन पिछले की अपेक्षा अधिक सुसंस्कार बने इस निमित्त जो कर्मकांड किये जाते है, उसका लाभ जीवात्मा को क्रिया-कर्म करने वालों की श्रद्धा के माध्यम से ही मिलता है, इसीलिए मरणोत्तर संस्कार को श्राद्धकर्म भी कहा जाता है।
इसी के निमित्त गायत्री शक्तिपीठ साकेत नगर एवं गायत्री प्रज्ञापीठ विजय नगर पर परम पूज्य गुरु सत्ता की सूक्ष्म उपस्थिति एवं संरक्षिका दुर्गा दीदी के सानिध्य में रविवार को तर्पण, पिंड़दान एवं पितृ यज्ञ किया गया जिसमें 45 भाईयों एवं 24 बहनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पितृ यज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपनी एक बुराई छोड़ कर एक अच्छाई ग्रहण की। गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री प्रज्ञापीठ द्वारा सम्पूर्ण व्यवस्था निःशुल्क की जाती है।
कार्यक्रम में राजेंद्र पोरवाल, शेष नारायण परमार, अरुणेद्र सोनी, बीएम विजयवर्गीय, भरतसिंह झाला, सुभाष धोते, ओपी श्रीवास्तव, नीति श्रीवास्तव, अमिता झाला, मंजुला सोनी, राधा राठौर, सुशीला परमार, दिनेश बरड़े, प्रदीप दुबे, बीएल कुमावत आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर कैलाशसिंह ठाकुर, केशव पटेल आदि का सराहनीय सहयोग रहा । कर्मकांड का संचालन गायत्री शक्तिपीठ पर रामनिवास कुशवाह एवं गायत्री प्रज्ञापीठ पर ज्ञानदेव बोड़खे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में शामिल सभी श्रद्धालुओं का आभार मुख्य प्रबन्ध ट्रस्टी महेश पंड्या एवं राजेंद्र पोरवाल ने माना। श्री चौधरी ने आगे बताया कि गायत्री शक्तिपीठ एवं गायत्री प्रज्ञापीठ पर अगले रविवार 29 सितम्बर एवं सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 2 अक्टूबर बुधवार को भी तर्पण व पिंडदान निःशुल्क किया जाएगा।
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