देवास। जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ राहु केतु की युति होने से पितृदोष का निर्माण होता है। जन्म कुंडली में द्वादश भाव होते हैं, जिनमें इस पितृदोष का प्रभाव अलग-अलग तरीके से जातक पर पड़ता है। 16 श्राद्ध में नियमित सुबह 11:45 से दोपहर 12:15 के बीच पितरों के लिए धूप एवं तर्पण करने का विधान जातक को करना चाहिए, जिससे से पितरों को तृप्ति एवं मुक्ति प्राप्त हो। ऐसा करने से सभी प्रकार की बाधाएं एवं मांगलिक कार्यों में आ रही सभी रुकावटें दूर होती है और घर में परिवार में खुशी का माहौल उत्पन्न होने लग जाता है। इसी प्रकार आप हर अमावस्या पर इस विधि को अपनाएं एवं अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें। अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।
श्री सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु शोध केंद्र
एस्ट्रोलॉजर पंडित नितिन मूंदड़ा
– संपर्क सूत्र 9993356904
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