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सफलता की कहानी- सिर्फ 10 दिन में बढ़ गया कुपोषित बच्ची का वजन

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  • पोषण पुनर्वास केंद्र में उपचार से गंभीर कुपोषण से मुक्त हुई प्रियांशी

देवास। जिले के ग्राम नागुखेड़ी में लक्ष्मी पति बंटी निवास करते हैं। अपना घर चलाने के लिए गैस चुल्हा सुधारने का कार्य करते है। इनकी 6 माह कह एक बालिका है, जिसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। एक दिन प्रियांशी की माता प्रियांशी को लेकर जिला अस्पताल पहुंची जहां ओपीडी में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरसी वर्मा ने जांच कर जिला अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया। कमजोर कुपोषित होने के कारण बालिका को देवास पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया गया। भर्ती के समय प्रियांशी का वजन 2 किलो 700 ग्राम तथा लंबाई 52 सेंटीमीटर थी। यह गंभीर कुपोषण की श्रेणी में आ रही थी। एनआरसी एवं आरबीएसके स्टाफ द्वारा उचित देखरेख में समय-समय पर मां को पोषण आहार की जानकारी दी गई। सिर्फ 10 दिन में प्रियांशी का वजन 3 किलो 300 ग्राम तथा ऊंचाई 53 सेंटीमीटर हुई, अब प्रियांशी पूर्णतः स्वस्थ है। अब उसके माता-पिता भी खुश हैं। एनआरसी के चिकित्सक डॉ. कपिल द्वारा नियमित देखभाल कर उपचार किया गया। माता-पिता ने बच्ची के उपचार के लिए जिला चिकित्सालय व एनआरसी के चिकित्सक स्टॉफ और प्रदेश सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

पोषण पुर्नवास केंद्रों में गंभीर कुपोषित बच्चों को आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा चिन्हित कर भर्ती कराया जाता है। साथ ही जिला अस्पताल में नियमित वार्ड में भी ऐसे बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुर्नवास केन्द्र में 14 दिनों तक बच्चों को भर्ती किया जाता है। निर्धारित डाइट प्रदान की जाकर माता को समझाइश दी जाती है। प्रियांशी जैसे कई बच्चों का उपचार पोषण पुर्नवास केंद्र में किया जाता है, जिसकी मॉनिटरिंग व देखरेख शिशु रोग विशेषज्ञ एवं एनआरसी नोडल अधिकारी द्वारा नियमित की जाती है। कुपोषित बच्चे के भर्ती होने के दौरान बच्चे की माता को 120 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 14 दिन की राशि 1 हजार 680 रुपये स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

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